वायु प्रदूषण के समाधान के लिये हाइड्रोजन आधारित जापानी तकनीक की संभावना तलाशें : न्यायालय

asiakhabar.com | November 13, 2019 | 4:06 pm IST

मनदीप जैन

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र को निर्देश दिया कि वायु
प्रदूषण की समस्या के स्थाई समाधान के लिये हाइड्रोजन आधारित जापानी प्रौद्योगिकी अपनाने की
व्यावहार्यता तलाशी जाये। शीर्ष अदालत ने केन्द्र को इस विषय पर विचार विमर्श तेज करने और
न्यायालय को तीन दिसंबर को अपने नतीजों से अवगत कराने का निर्देश दिया। पड़ोसी राज्यों में पराली
जलाने की घटनाओं और प्रतिकूल मौसम की वजह से दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति एक पखवाड़े के
भीतर दूसरी बार ‘आपात अवस्था’ में पहुंचने के परिप्रेक्ष्य में यह मुद्दा बुधवार को प्रमुखता से उठा।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे ने कहा कि चूंकि सॉलिसीटर जनरल तुषार
मेहता ने स्वयं ही इस प्रौद्योगिकी की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया है, केन्द्र राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र और उत्तर भारत के दूसरे राज्यों में इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की व्यवहार्यता की
संभावना तलाशे। यह प्रौद्योगिकी जापान में एक विश्वविद्यालय के अनुसंधान का नतीजा है।इससे पहले,
पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण का स्थाई समाधान खोजना जरूरी है क्योंकि यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और
उत्तर भारत के शेष हिस्से के लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने
पीठ से कहा कि जापान में एक विश्वविद्यालय ने एनसीआर और उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति
को ध्यान में रखते हुये अनुसंधान किया है। उन्होंने कहा कि यह अनुसंधान बिल्कुल नया है और सरकार
समझती है कि वह वायु प्रदूषण की मौजूदा स्थिति से निबटने के लिये इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर

सकती है।सॉलिसीटर जनरल ने जापान के विश्वविद्यालय के एक अनुसंधानकर्ता विश्वनाथ जोशी का पीठ
से परिचय कराया। जोशी ने न्यायाधीशों को हाइड्रोजन आधारित प्रौद्योगिकी के बारे में बताया कि इसमें
वायु प्रदूषण खत्म करने की क्षमता है। न्यायालय ने कहा कि इसी तरह के मामले चूंकि एक अन्य पीठ
के समक्ष लंबित हैं, अत: सुनवाई के लिये इन्हें मिलाया जा सकता है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *