नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी में फिलहाल साइड लाइन कर दिए कुमार विश्वास को गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले में होने वाले कवि सम्मेलन का भी न्योता नहीं मिला है। दरअसल हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित इस कवि सम्मेलन में कुमार विश्वास को नहीं बुलाया है जिसके बाद राजधानी में फिलहाल चल रही राजनीतिक उठापटक को नया रंग मिल गया है।
कुमार विश्वास स्वयं एक मशहूर कवि हैं। उनके प्रशंसकों की एक लंबी भीड़ है। लेकिन दिल्ली सरकार की भाषा अकादमी इनसे दूरी बनाने लगी है। यही वजह है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले में हिंदी अकादमी ने राष्ट्रीय कवि सम्मलेन के आयोजन में उन्हें इस बार निमंत्रण नहीं दिया गया है।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर वर्ष आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित हिंदी अकादमी कवि सम्मेलन में वो जाते रहे हैं और श्रोता रूप में पूरे कार्यक्रम में बैठे हैं। लेकिन इस बार उन्हें कवि सम्मेलन में आने का न्यौता तक नहीं दिया गया है।
इस संदर्भ में मंगलवार को कुमार विश्वास ने कहा कि यह उनके लिए कोई विशेष मुद्दा नहीं है। सरकार के कवि-सम्मेलनों में उनकी कोई रुचि नहीं रही है। लेकिन जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, तब से अधिकारी और अकादमी सदस्यों ने उन्हें प्रेम पूर्वक कमोबेश हर कार्यक्रम में अतिथि रूप में बुलाया है।
हिंदी अकादमी के अलावा उर्दू अकादमी, संस्कृत अकादमी, मैथिली-भोजपुरी अकादमी, पंजाबी अकादमी ने भी उन्हें कार्यक्रमों में आमंत्रित किया है।
उन्होंने कहा कि इस बार परिस्थितियां ऐसी है कि सरकार की हिम्मत नहीं है कि उन्हें श्रोता रूप में भी सहन कर सके। संभवत: सरकार में बैठे लोग उनसे नजरें चुराने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन लाल किले के कवि-सम्मेलन में निमंत्रण मिलना-न मिलना उनके लिए महत्वपूर्ण विषय नहीं है क्योंकि वो लोगों के दिलों के लालकिले में बसे हुए हैं।
वहीं इस मामले में आप के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज कहते हैं कि लोगों को पता है कि उनकी अनदेखी क्यों की जा रही है। पार्टी के भीतर किसी मसले पर वह सहमत नहीं हैं तो उसे सार्वजनिक रूप से नहीं साझा करना चाहिए। घर की बातें घर में सुलझ जाए तो यह बेहतर होता है।