नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा
की जमानत के खिलाफ दायर याचिका पर अब बुधवार को सुनवाई करेगा।
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को इस मामले को 16 मार्च के लिए
सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए कहा कि विशेष अनुमति याचिका पर कल सुनवाई की जाएगी। शीर्ष अदालत ने
11 मार्च को कहा था कि 15 मार्च को उपयुक्त पीठ के समक्ष याचिका पर सुनवाई की जाएगी, लेकिन इस मामले
से संबंधित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई कर चुकी पीठ में शामिल न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्य कांत आज उपलब्ध
नहीं थे।
याचिकाकर्ताओं- मृतक किसानों के परिजनों के वकील प्रशांत भूषण ने आज भी याचिका को अति आवश्यक बताते
हुए शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई। इससे पहले उन्होंने 11 और चार मार्च को भी शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी।
श्री भूषण ने शीर्ष अदालत को बताया कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में एक गवाह पर गत गुरुवार
रात को वहां हमला किया गया था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अभियुक्तों की ओर से धमकी दी जा रही है
कि अब उनकी पार्टी राज्य की सत्ता में वापस आ गई है।
श्री भूषण ने कहा कि ऐसे हालात में गवाहों और याचिकाकर्ताओं के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है। मुख्य आरोपी
आशीष के अलावा अन्य आरोपी भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जमानत लेने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को जमानत दी
थी।
किसानों के परिजनों की ओर से श्री भूषण ने आशीष की जमानत रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के
फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की। श्री भूषण ने चार मार्च को भी शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई
थी। तब मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर 11 मार्च को उपयुक्त पीठ के समक्ष सुनवाई
करने का निर्देश दिया था, लेकिन उस दिन याचिका सूचीबद्ध नहीं की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश ने चार मार्च को यह भी कहा था कि संबंधित मामले की सुनवाई करने वाली वही पीठ याचिका
पर विचार करने के लिए उपलब्ध होनी चाहिए।
मृतक किसानों के परिजनों का नेतृत्व कर रहे जगजीत सिंह की ओर से अधिवक्ता श्री भूषण ने फरवरी में विशेष
अनुमति याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा आशीष को जमानत दिए जाने को
कानूनी प्रक्रिया एवं न्याय की अनदेखी करार दिया है।
श्री भूषण से कुछ दिन पहले, अधिवक्ता सी एस पांडा और शिव कुमार त्रिपाठी ने भी आशीष की जमानत के
खिलाफ सर्वोच्च अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले साल तीन अक्टूबर को कथित रूप से आशीष की कार से कुचलकर चार
किसानों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा कार चालक एवं एक
पत्रकार की मृत्यु हो गई थी।
घटना के मामले में वकील श्री पांडा एवं श्री त्रिपाठी ने जनहित याचिका के साथ पिछले साल शीर्ष अदालत का
दरवाजा खटखटाया था। तब अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय
के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल
(एसआईटी) गठित की थी।
किसानों के परिजनों की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी
के अपने आदेश में आशीष को जमानत देने में "अनुचित और मनमाने ढंग से विवेक का इस्तेमाल' किया।
किसानों के परिजनों की याचिका में दावा किया गया है कि उन्हें कई आवश्यक दस्तावेज उच्च न्यायालय के संज्ञान
में लाने से रोका गया था। उनके वकील को 18 जनवरी 2022 को वर्चुअल सुनवाई से तकनीकी कारणों से
'डिस्कनेक्ट' कर दिया गया तथा इस संबंध में अदालत के कर्मचारियों को बार-बार फोन कर संपर्क करने की कोशिश
की गई लेकिन कॉल कनेक्ट नहीं हो पाया था। इस तरह से मृतक किसानों के परिजनों की याचिका प्रभावी सुनवाई
किए बिना खारिज कर दी गई थी।
जगजीत सिंह के नेतृत्व में दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने की वजहों में
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आशीष की जमानत के खिलाफ अपील दायर नहीं करना भी एक कारण है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश में उसी दल की सरकार है, जिस दल कि सरकार में आरोपी आशीष के
पिता अजय मिश्रा केंद्र में राज्य मंत्री हैं। शायद इसी वजह से उत्तर प्रदेश सरकार ने आशीष की जमानत के खिलाफ
शीर्ष अदालत में याचिका दायर नहीं की थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उच्च न्यायालय अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार करने में विफल रहा। उनका
कहना है कि गवाहों के संदर्भ में आरोपी की स्थिति उसके न्याय से भागने, अपराध को दोहराने, गवाहों के साथ
छेड़छाड़ और न्याय के रास्ते में बाधा डालने की संभावनाओं से भरा पड़ा है।
आशीष को उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले साल नौ अक्टूबर को तीन अक्टूबर की हिंसक घटना से जुड़े मामले में
गिरफ्तार किया था। फरवरी में वह जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया।
तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लखीमपुर खीरी के
एक कार्यक्रम का विरोध करने के लिए दौरान हिंसक घटनाएं हुई थी। ये किसान केंद्र के तत्कालीन तीन कृषि
कानूनों (अब रद्द कर दिए गए) के खिलाफ लंबे समय से आंदोलन कर रहे थे।