राजीव गोयल
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईसीएमआर और एनएबीएल को कोविड-19 के
बढ़ते मामलों के मद्देनजर निजी प्रयोगशालाओं और अस्पतालों को रैपिड एंटीजन तथा आरटीपीसीआर जांच करने
की अनुमति देने की प्रक्रिया को तेज करने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया।अदालत ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र
(एनसीडीसी) को भी 27 जून से पांच जुलाई के बीच किए गए ‘सीरो सर्विलेंस’(रक्त की जांच) की एक प्राथमिक
रिपोर्ट 27 जुलाई तक उसके समक्ष पेश करने को कहा।इस दौरान कोविड-19 के सामुदायिक स्तर पर फैलने के
खतरे का पता लगाने के लिए दिल्ली के 11 जिलों से रक्त के 21,387 नमूने लिए गए थे।न्यायमूर्ति हिमा
कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एक पीठ ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)
और एनसीडीसी की ओर से दाखिल हलफनामे को स्वीकार करते हुए ये निर्देश जारी किए। इस हलफनामे में उन्होंने
अदालत द्वारा आखिरी सुनवाई में मांगी गई जानकारी दी थी। अदालत ने उनसे पूछा था कि दिल्ली में कितनी
प्रयोगशालाओं और निजी अस्पतालों में रैपिड एंटिजन और आरटीपीसीआर परीक्षण हो रहे हैं। साथ ही अदालत ने
उनसे ‘सीरो सर्विलेंस’ से जुड़ी जानकारी मांगी थी। पीठ ने मंजूरी प्रक्रिया में लगने वाले एक महीने के समय को
बहुत अधिक मानते हुए आईसीएमआर को इसे कम करने को कहा ताकि लोगों को जांच कराने के लिए
प्रयोगशालाओं या अस्पतालों को ढूंढने में परेशानी ना आए।अदालत ने स्वास्थ्य देखभाल प्रत्यायन निकाय
‘एनएबीएल’ से भी कहा कि मान्यता मांगने के लिए आवेदन मिलने पर परेशानी खड़ी ना करे और जल्द से जल्द
औपचारिकताएं पूरी करें।एनएबीएल का प्रतिनिधित्व कर रहे, केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया ने
कहा, ‘‘ एनएबीएल ने प्रक्रिया तेज कर दी है।’’वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई इस सुनवाई के दिल्ली सरकार ने
अदालत को बताया कि 18 जून से 15 जुलाई के दौरान 2,81,555 लोगों के ‘रैपिड एंटिन डिटेक्शन टेस्ट’ किए
गए। इनमें से 19,480 संक्रमित पाए गए और उन्हें आवश्यक उपचार मिल रहा है। दिल्ली सरकार के अतिरिक्त
स्थायी वकील सत्यकाम ने बताया कि शेष 2,62,075 नमूनों की जांच की रिपोर्ट नेगेटिव रही। कुल 1,365 लोग
ऐसे पाए गए जिनमें कोई लक्षण नजर नहीं आए। इन लोगों को आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए भेजा गया। इनमें से
243 लोगों में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हुई।मामले की अगली सुनवाई अब 27 जुलाई को होगी। पीठ ने
यह व्यवस्था अधिवक्ता राकेश मल्होत्रा की अपील पर दिया। मल्होत्रा ने राष्ट्रीय राजधानी में जांच की संख्या बढ़ाने
और शीघ्र परिणामों के लिए अदालत से निर्देश देने का आग्रह किया था।