मनदीप जैन
नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर न्यायपालिका पर दबाव बनाने
का आरोप लगाते हुए साफ किया है कि चुनाव में बार-बार हारे लोग इस तरह से राजनीति को नियंत्रित नहीं कर
सकते। लॉकडाउन पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सवाल उठाने पर प्रसाद ने कहा कि उनकी तो उनके
मुख्यमंत्री ही नहीं सुनते। इसका यही मतलब है कि उनकी बात में या तो कोई वजन नहीं है या उनकी बातों को
उनके मुख्यमंत्री गंभीरता से नहीं लेते। एक निजी न्यूज चैनल के साथ बातचीत में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि
वक्त एकजुटता का है, राजनीति तो बाद में भी की जा सकती है। उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी ने लॉकडाउन का
विरोध किया। डॉक्टरों, कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में ताली-थाली बजाने का विरोध किया। देश में दीप जला, देश
में झोपड़ियों में भी दीप जले लेकिन उसका भी विरोध किया।' लॉकडाउन को लेकर राहुल गांधी के हमलों पर
पलटवार करते हुए प्रसाद ने कहा कि उनकी तो खुद उनके मुख्यमंत्री ही नहीं सुनते। कानून मंत्री ने कहा, 'सवाल
यह है कि राहुल गांधी की बात उनके मुख्यमंत्री क्यों नहीं सुनते? अमरिंदर सिंह ने पंजाब में सबसे पहले कर्फ्यू
लगा दिया। लॉकडाउन लगाया। राजस्थान ने भी यही किया। महाराष्ट्र में यह हुआ या नहीं हुआ? उन्होंने प्रधानमंत्री
की बैठक से पहले ही कह दिया कि 31 मई तक हमने बढ़ा दिया। अभी देश को एक साथ संकल्प के साथ कोरोना
से लड़ना है। राहुल को उनके मुख्यमंत्री ही नहीं सुनते तो इसका क्या मतलब निकाला जाए? या तो उनकी बात में
वजन नहीं है या फिर उन्हें गंभीरता से नहीं लेते।' रविशंकर प्रसाद ने जोर देकर कहा कि चुनाव में हारे हुए लोग,
बार-बार हराए गए लोग कोर्ट के गलियारे से देश की राजनीति को नियंत्रित नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, 'जो लोग कोर्ट
में आते हैं वे ये भी तो बताए कि उन्होंने खुद क्या किया है। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा लेकिन क्या ये सच्चाई
नहीं है कि ये लोग कभी कभार एक प्रकार के दबाव की राजनीति करते हैं? क्या ये सही नहीं है कि इन लोगों ने
देश के एक मुख्य न्यायाधीश के इम्पीचमेंट के लिए कार्रवाई की गई थी? क्या ये सही नहीं है कि जब उपराष्ट्रपति
ने इम्पीचमेंट के आवेदन को खारिज कर दिया तो कांग्रेस के लोग कोर्ट में गए थे और बाद में उसे विदड्रॉ कर
लिया था। ये कौन दबाव की राजनीति कर रहा था?' कांग्रेस पर न्यायपालिका को दबाव में लाने का आरोप लगाते
हुए कानून मंत्री ने कहा, 'भारत की न्यायपालिका का हम सम्मान करते हैं, उनको हस्तक्षेप करने का अधिकार है।
लेकिन न्यायपालिका को ईमानदारी से और आजादी से काम करने देना चाहिए, दबाव में नहीं। ये क्या कि कुछ
लोग सोशल मीडिया पर जाते हैं कि ऐसा निर्णय आना चाहिए और अगर वैसा नहीं आता तो एक कैंपेन शुरू करते
हैं।' प्रसाद ने कहा कि बीजेपी के लोगों ने इमर्जेंसी के खिलाफ संघर्ष किया है। उन्होंने कहा, 'हमारी राजनीतिक
विरासत इमर्जेंसी के खिलाफ संघर्ष की है। हमने लाठियां खाई हैं, जेल गए हैं। तीन आजादी के लिए संघर्ष किया-
जनता की आजादी, मीडिया की आजादी और न्यायपालिका की आजादी के लिए। उनकी विरासत न्यायपालिका को
दबाव में लाने की है।' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार मजदूरों की पीड़ा कम करने की हर मुमकिन कोशिश कर
रही है। उन्होंने कहा, 'हमारे प्रवासी मजदूरों की पीड़ा से हम सभी दुखी हैं। मैं तो बिहार से आता हूं, वहां बड़ी
संख्या में मजदूर लौट के गए हैं। ये त्रासदी है। उनके लिए 3500 गाड़ियां की गई या नहीं, 3 महीने का भोजन
दिया गया या नहीं। भारत सरकार ने मजदूरों के क्वारंटीन, स्क्रीनिंग वगैरह के लिए राज्यों को आपदा फंड से 11
हजार करोड़ रुपये दिया या नहीं? उनके लिए मनरेगा में 40 हजार करोड़ रुपये दिया है या नहीं।'