मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सपा सरकार द्वारा चलाई जा रही समाजवादी पेंशन योजना को रोकते हुए पात्रता की जांच के निर्देश दिए हैं। मंगलवार की रात समाज कल्याण विभाग के प्रस्तुतीकरण के दौरान उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यह पता लगाया जाए कि जिन लोगों को लाभ मिल रहा है, वे पात्र हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि योजना का लाभ सिर्फ पात्रों को ही दिया जाए। उन्होंने इस जांच को एक महीने में पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
समाज कल्याण द्वारा संचालित योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री पेंशन योजना करने का प्रस्ताव प्रस्तुतिकरण के दौरान दिया गया। मुख्यमंत्री ने इसके तहत अति दलित जैसे-मुसहर, नट, कंजड़ आदि तथा बनटांगियां समुदाय के व्यक्तियों को शामिल करते हुए, उन्हें लाभान्वित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने पेंशन दिवस मनाने के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई।
समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न पेंशन योजनाओं जैसे-वृद्धावस्था, किसान पेंशन योजना, राज्य पेंशन योजना इत्यादि के विषय में जानकारी प्राप्त करते हुए मुख्यमंत्री ने विधवा, दिव्यांगजन और वृद्धावस्था पेंशन के तहत उपलब्ध कराई जा रही 500 रुपये प्रतिमाह की धनराशि को दोगुना करने के संबंध में गहन समीक्षा करने के बाद कैबिनेट में प्रस्ताव प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
योगी ने अनुसूचित जाति की पुत्रियों की शादी के लिए अनुदान योजना के तहत पात्रता के विषय में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि इस योजना को सामूहिक विवाह योजना के रूप में लागू किए जाने की संभावनाओं पर विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि इसका नाम कन्यादान योजना रखा जाए।
योगी ने 100 दिन के लिए तय लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के निर्देश दिए। कहा कि मौजूद वृद्धाश्रमों की व्यवस्था ठीक की जाए। जहां पर परिवार मौजूद है, वहां मां-बाप को पेंशन योजना के तहत लाभान्वित किया जाए, ताकि वे परिवार के साथ ही रह सकें और उन्हें वृद्धाश्रम जाने की जरूरत न पड़े। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति असहाय हैं, उन्हें वृद्धाश्रम में रखा जाए, उनका सत्यापन भी किया जाए। उन्होंने मठ, मन्दिरों में रहकर संस्कृत सीखने वाले विद्यार्थियों के लिए भी व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए लागू पूर्वदशम छात्रवृत्ति योजना की कमियों को दूर करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गड़बड़ियों को दूर कर योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।