यूपी सरकार ने अखिलेश सरकार का एक महत्वपूर्ण फैसला पलट दिया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षा (सीएजी) को विकास प्राधिकरणों के साथ आवास विकास परिषद में कार्यों की जांच की अनुमति अब तुरंत दी जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ।
कैग ने वर्ष 2016 में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में हुए कार्यों की जांच की अनुमति मांगी थी, लेकिन तत्कालीन अखिलेश सरकार ने अनुमति नहीं दी। आवास विभाग ने स्थानीय स्तर पर जांच की व्यवस्था बताते हुए 16 जून 2016 को शासनादेश जारी कर कैग को जांच की अनुमति नहीं दी।
कैग को शिकायतें मिली थीं कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में भारी पैमाने पर कामों में गड़बड़ी हुई है। तत्कालीन अखिलेश सरकार के इस कदम को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनभाओं में इसकी आलोचना भी की थी। राज्यपाल राम नाईक ने भी इस संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में 16 जून 2016 को आवास विभाग द्वारा जारी शासनादेश को निरस्त करने का फैसला किया गया। इसके साथ ही 11 जून 1985 में दी गई व्यवस्था को बहाल करने का फैसला किया।
मतलब, शासन से यदि विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद ने शासन से एक करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान प्राप्त किया है, तो कैग या अन्य कोई केंद्रीय जांच एजेंसी राज्य सरकार से अनुमति लेकर आडिट कर सकेगी।
अपर मुख्य सचिव सदाकांत की ओर से इस संबंध में जारी शासनादेश को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके आधार पर कैग या कोई भी केंद्रीय एजेंसी राज्य सरकार से अनुमति लेकर यूपी के किसी भी प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र प्राधिकरण व आवास विकास परिषद की आडिट कर सकेगी। राज्य सरकार इसके लिए तुरंत अनुमति देगी।
अभी तक राज्य सरकार केवल इस आधार पर मंजूरी नहीं देती थी कि प्राधिकरणों की आडिट के लिए उसकी अपनी अलग से व्यवस्था है। यूपी अरबन प्लानिंग एक्ट के तहत स्थानीय लेखा निधि लेखा परीक्षा इलाहाबाद प्राधिकरणों का आडिट करती है। यह राज्य सरकार की अपनी संस्था है।