नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ एफआईआर दर्ज करिए दायर याचिका
पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि अपने इलाके के
डीएम के यहां शिकायत करें ताकि राज्य और केंद्र सरकार से केस चलाने के लिए जरूरी अनुमति मिल
सके। मामले पर अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी। याचिका ऑल इंडिया रैगर महासभा के महासचिव
छतर सिंह रछौया ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल
हलफनामे में अपनी तुलना भगवान राम से की है। इससे लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। दो अप्रैल को
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में मायावती ने कहा था कि जब सरकारी खर्च से राम की मूर्तियां लग
सकती हैं तो हमारी मूर्ति क्यों नहीं लग सकती हैं। मायावती ने कहा है कि उनकी मूर्तियां लगें, ये
जनभावना थी। मायावती ने अपने हलफनामे में कहा है कि मूर्तियां लगवाना बसपा संस्थापक कांशीराम
की इच्छा थी। दलित आंदोलन में उनके योगदान के चलते मूर्तियां लगवाई गई। दरअसल एक याचिका
पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को मायावती के वकील को कहा था कि आप अपने
मुवक्किल को कह दीजिए कि वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराएं। सुप्रीम
कोर्ट ने इससे पहले भी 2015 में उत्तर प्रदेश की सरकार से पार्क और मूर्तियों पर खर्च हुए सरकारी पैसे
की जानकारी मांगी थी। मायावती ने अपने शासनकाल में कई पार्कों का निर्माण करवाया था। इन पार्कों
में बसपा के संस्थापक कांशीराम, मायावती और हाथियों की मूर्तियां लगवाई गई थीं। ये पार्क लखनऊ,
नोएडा समेत अन्य शहरों में बनवाए गए थे।