नई दिल्ली:- वर्तमान समय में बहुत सारे छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। इस बढ़ती समस्या को रोकने के लिए देश का प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य कल्याण संगठन ‘मनस्थली’ ने स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता को उजागर किया और इस पर अमल करने का अनुरोध भी किया है। मनस्थली की पहल छात्रों में बढ़ रही आत्महत्याओं के चिंताजनक ट्रेंड को रोकने और सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित, सहायक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय उपायों की तत्काल आवश्यकता का समाधान करना चाहती हैं।
छात्रों में बढ़ रही आत्महत्याओं ने समाज में चिंता पैदा कर दी है। अक्सर छात्र पढाई में अच्छा प्रदर्शन करने के दबाव, सामाजिक संपर्क और डिजिटल युग की चुनौतियों का सामना नहीं कर पाते हैं जिस वजह से उनका मानसिक स्वास्थ्य ख़राब हो जाता है। मनस्थली का मानना है कि स्कूल इन दुखद घटनाओं को रोकने और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।
भारत में हर 100,000 लोगों के लिए केवल एक पेशेवर मानसिक विशेषज्ञ उपलब्ध है। इसके अलावा समस्या यह है कि मानसिक समस्याओं पर काउंसलिंग या मानसिक बीमारियों के कंसल्टेशन का खर्च बहुत ज्यादा है। इस वजह से छात्र अपनी मानसिक समस्याओं का समाधान नहीं पाते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी ) की ‘एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 13,000 से ज्यादा छात्रों की मृत्यु हुई, यानी प्रति दिन 35 से ज्यादा बच्चों की मौतें हुईं। 2018 में सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया था।
मनस्थली की फाउंडर डॉ ज्योति कपूर का कहना है कि , “युवाओं का दिमाग तभी फल-फूल सकेगा जब उनके लिए स्कूल में विधिवत मानसिक स्वास्थ्य योजनाओं को लागू किया जायेगा। छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती समस्या मानसिक बीमारी की गंभीरता को दर्शाती है और इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग करती है। ऐसी मानसिक स्वास्थ्य योजनाओं में न केवल संकट हस्तक्षेप बल्कि निवारक उपाय भी शामिल होने चाहिए, जिससे मानसिक बीमारी होने की सम्भावना ही न रह जाए। सहानुभूति और सहयोग के कल्चर को बढ़ावा देकर स्कूल एक ऐसी जगह बन सकता हैं जहाँ पर छात्र खुद को मूल्यवान महसूस कर सकें। एक मजबूत मानसिक स्वास्थ्य ढांचे में सुलभ काउंसलिंग सर्विस, जागरूकता अभियान, शिक्षक ट्रेनिंग और माता-पिता की भागीदारी भी शामिल होनी चाहिए।”
मनस्थली की पहल निम्नलिखित 6 प्रमुख घटकों पर आधारित है:
1-तत्काल कार्रवाई: मनस्थली प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के स्कूलों में तत्काल व्यापक मानसिक स्वास्थ्य योजनाओं को बनाने और लागू करने का अनुरोध करता है। इन योजनाओं में मानसिक बीमारी से ग्रसित छात्रों के लिए निवारक उपाय, शीघ्र हस्तक्षेप रणनीतियाँ और मजबूत सपोर्ट सिस्टम शामिल होने चाहिए।
2- छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण: मनस्थली इस बात पर जोर देता है कि मानसिक स्वास्थ्य योजनाओं को छात्रों की ख़ास जरूरतों पर प्राथमिकता देनी चाहिए। योजनाओं को खुली बातचीत की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे छात्रों को फैसले के डर के बिना अपने विचारों और चिंताओं को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
3- प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप: स्कूलों को छात्रों में मानसिक समस्या के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने के लिए एक सिस्टम स्थापित करना चाहिए। इससे काउंसलिंग सर्विस और उचित रेफरल के माध्यम से समय पर इलाज प्रदान करके आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
4- सुलभ काउंसलिंग सर्विस सेवाएँ: मनस्थली स्कूलों के अन्दर आसानी से उपलब्ध और अच्छी तरह से लैस काउंसलिंग सर्विस प्रदान करने की वकालत करता है। भावनात्मक चुनौतियों का सामना करने वाले छात्रों को गोपनीय मदद प्रदान करने के लिए ट्रेंड मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट होने चाहिए।
5- सामजिक जुड़ाव: मनस्थली स्कूलों, अभिभावकों, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट और समाज के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है। एक साथ काम करके एक विधिवत और बढ़िया सपोर्ट नेटवर्क स्थापित किया जा सकता है। यह सपोर्ट नेटवर्क छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
6- लॉन्गटर्म में पड़ने वाला प्रभाव: मानसिक स्वास्थ्य योजनाओं में निवेश करके स्कूल छात्रों के जीवन पर सकारात्मक और स्थायी प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई के बाद भी भावनात्मक रूप से स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।
मनस्थली शिक्षा से सम्बंधित अधिकारियों, स्कूल बोर्डों, अभिभावकों और सभी स्टेकहोल्डर से इस महत्वपूर्ण उद्देश्य के लिए एकजुट होने का आग्रह करता है। स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर समाज सामूहिक रूप से छात्रों में आत्महत्या के विनाशकारी ट्रेंड को रोकने में योगदान दे सकता है।