नई दिल्ली। भारत सरकार के केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा घोषित सतर्कता जागरूकता अभियान का शुभारंभ दिल्ली विश्वविद्यालय में गुरुवार देर शाम को हुआ। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने उपस्थित शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि केवल पैसे लेना ही भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि यह तो भ्रष्टाचार का एक रूप मात्र हो सकता है। तनख़्वाह लेकर न पढ़ाना अथवा अपने को आवंटित काम को न करना भी भ्रष्टाचार के ही दायरे में आता है।
कुलपति ने कहा कि देश की आजादी के 75 वर्ष बाद भी अगर सरकार को ऐसे कार्यक्रम चलाने पड़ें, तो कहीं न कहीं भारत के समाज को सोचने की जरूरत है। हमें खुद के अंदर झांकने की जरूरत है। कुलपति ने एक प्रतीक के रूप में अंडमान निकोबार की सेल्यूलर जेल में वीर दामोदर सावरकर के कोल्हू में जोड़े जाने का ज़िकर करते हुए कहा कि उन देश भक्तों को हम भारतियों पर कितना विश्वास होगा! जब हम को भी ऐसा काम करते हैं, जो हमें नहीं करना चाहिए तो हमें सावरकर और भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में सोच कर ये विचार करना चाहिए कि क्या हम उनके भावों पर खरे उतरते हैं?
इस अवसर पर कुलपति ने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे अच्छे काम करने वाले लोगों और मनों को तैयार करें। उन्होंने कहा कि अच्छाई बहुत कमजोर होती है, जबकि बुराई बहुत मजबूत होती है। बुराई को सिखाने के लिए कोई स्कूल नहीं होते फिर भी वो पनप जाती है। समझ की समझ को विकसित करना ही शिक्षा है और शिक्षा बुराई को रोकने की शक्ति देती है। उन्होंने कहा कि बहुत सी चीजें आचरण से सीखिए जाती हैं, इसलिए अगर हमारा आचरण सही होगा तो विद्यार्थी भी अच्छा ही करेंगे। जब हम सभी लोग अपने मनों में अपने स्तर पर अपने-अपने तरीके से अच्छाई लाएंगे तभी परिवर्तन आएगा। आजाद भारत में हमारी जिम्मेवारी है कि हम अच्छाई को बढ़ाने का काम करें।
कार्यक्रम के दौरान दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि हम जीवन में जितना सावधान और संयमित रहेंगे उतना ही हमारा भविष्य भी सुंदर और संयमित होगा। अगर हम अपने को निर्दिष्ट कार्य ईमानदारी से करें तो राष्ट्र निर्माण में अपना सही योगदान दे सकते हैं। इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी ने अपने सारगर्भित संदेश में कहा कि इलाज से रोकथाम बेहतर है। कार्यक्रम के आरंभ में डीयू रजिस्ट्रार एवं मुख्य सतर्कता अधिकारी डॉ. विकास गुप्ता ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हर काम को केवल करना ही जरूरी नहीं है, बल्कि एक खास तरीके से करना जरूरी है। डॉ. गीतांजली काला ने “कार्यस्थल के रोजमर्रा के संदर्भ में सतर्कता” विषय पर व्याखान दिया। कार्यक्रम के दौरान पीडीपीआई के तहत शिकायत करने पर जागरूकता को लेकर एक शॉर्ट फिल्म भी प्रदर्शित की गई। यही नहीं भ्रष्टाचार को लेकर एक नुक्कड़ नाटक “टेबल के नीचे से” भी प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर अनेकों डीन्स, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।