
नई दिल्ली।भारतीय संविधान के लागू होने की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला में दिल्ली विश्वविद्यालय के अरबी भाषा विभाग द्वारा “संविधान @ 75 : नागरिकों के अधिकार एवं कर्तव्य” विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डीयू के लॉ फैकल्टी में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.नरेंद्र नागरवाल ने कहा कि भारत का संविधान भारत की आत्मा है।
डॉ.नरेंद्र नागरवाल ने कहा कि हमारा देश संविधान से चलता है, इसमें नागरिको के न केवल मूलाधिकारों को बताया गया बल्कि कर्तव्यों का भी विस्तार से उल्लेख है ये भारत के सविधान की ताकत ही है कि किसी भी धर्म या जाति या वर्ण से सम्बन्ध रखने वाला व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद तक पहुच सकता है। हालांकि ये दुखद है कि कुछ लोग संविधान में आस्था नहीं रखते इससे समाज में आराजकता की स्थिति उत्पन होने का खतरा बढ़ जाता है। भारत में रंग रूप, वेश-भूषा विविधता में एकता के रंग की झलक प्रस्तुत करते है और ये एकता कायम रखता है संविधान।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे जामिआ मिलिया इस्लामिया के कानून के प्रोफेसर असद मालिक ने कहा कि समाज की समस्या का हल संविधान में है, लकिन अफ़सोस की बात है लोग संविधान पढ़ते नहीं है और सुनी सुनाई बातो पर यकीन करते है। हम सभी को अपना कर्तवय समझ कर संविधान अवशय पढ़ना चाहिए। कार्यक्रम के आरंभ में अरबी भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रो. एस. हसनैन अख्तर ने मुख्यातिथि सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मुजीब अख्तर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अकरम ने किया। इस अवसर पर शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारियों तथा सैंकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे।