नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृति परिषद और हंसराज कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतर-कॉलेज ललित कला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें पेंटिंग, फोटोग्राफी, मेहंदी, पोस्टर और रंगोली बनाने की प्रतियोगिताएं शामिल थीं। इन प्रतियोगिताओं में विभिन्न महाविद्यालयों की लगभग 23 टीमों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृति परिषद के चेयरपर्सन अनूप लाठर और विशिष्ट अतिथि के तौर पर पंजाबी विभाग के डीन एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता और विभाजन अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रोफेसर रवींद्र कुमार उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री अनूप लाठर ने कहा कि ब्रह्मांड द्वारा निर्मित हर चीज में सुंदरता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति कैसा दिखता है, वह अपने तरीके से सुंदर है और उसके आंतरिक गुण और उसकी कला ही उन्हें ऊंचा उठाते हैं। उन्होंने कहा कि हर कलाकार में एक लय होती है, लेकिन लय के साथ-साथ धैर्य की भी जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में भाग लेने वाला प्रत्येक प्रतिभागी विजेता है। अपने भाषण के अंत में उन्होंने सभी को कला को जीवित रखने और इसके साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
प्रोफेसर रविंद्र कुमार ने “कलावीर” शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि पहली बार कला और वीर दोनों शब्दों का एक साथ प्रयोग किया गया है। जो व्यक्ति कला में पारंगत है, वह कला-योद्धा है। उन्होंने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रयास करने वाला प्रत्येक प्रतिभागी अपने आप में विजेता है।
प्रतियोगिता में डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज, जाकिर हुसैन कॉलेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, मैत्रेयी कॉलेज, हिंदू कॉलेज की टीमें क्रमश: पेंटिंग, फोटोग्राफी, मेहंदी, पोस्टर और रंगोली बनाओ प्रतियोगिताओं में विजेता रहीं। संस्कृति परिषद के डीन डॉ. हेमन्त वर्मा ने कार्यक्रम के दौरान पर्यवेक्षक के रूप में कार्य किया। प्रतियोगिता का आयोजन हंसराज कॉलेज की नोडल अधिकारी डॉ. हेमा चुटानी और संकाय समन्वयक डॉ. वैशाली वर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सभी की उत्साहपूर्ण भागीदारी ने कार्यक्रम को सफल बनाया।