बुलंदशहर। देश में दलितों के खिलाफ अत्याचार रोकने के लिए भले ही कड़े कानून बने हों, मगर इसके बाद भी अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहे। ऐसा ही एक मामला यूपी के बुलंदशहर जिले के एक गांव से सामने आया है। जिसे सुनकर किसी का भी कलेजा दहल जाए।
खेतलपुर भंसोली गांव की एक दलित गर्भवती महिला की सिर्फ इसलिए पीटा गया, क्योंकि उसने अगड़ी जाति की महिला की बाल्टी हाथ में पकड़ ली थी।
पिटाई के 6 दिन बाद इस दलित गर्भवती महिला की मौत हो गई। मौत केवल महिला की ही नहीं हुई, बल्कि उसके पेट में पल रहा भ्रूण भी मर गया।
इस मामले में पुलिस ने दलित के साथ मारपीट करने वाली अगड़ी जाति की महिला और उसके लड़के के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट और दूसरी धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। मगर आरोपी महिला और उसका लड़का फरार चल रहा है।
बाल्टी छूने के बाद हुई मारपीट-
ये घटना इसी महीने 15 अक्टूबर की है, जब आठ महीने की गर्भवती सावित्री देवी रोज की तरह खेतलपुर भंसोली गांव के घर-घर से कचरा इकठ्ठा कर रही थी। सावित्री देवी अंजू नाम की अगड़ी जाति की महिला के घर के बाहर कचरा लेने के लिए खड़ी थी। इसी दौरान उसके पास से एक रिक्शा गुजर गया। जिससे उसका संतुलन बिगड़ा और पास में रखी अंजू की बाल्टी से वो टकरा गई। बस फिर क्या था, अंजू की भड़क गई और दलित महिला सावित्री को बाल्टी अशुद्ध करने के लिए हुज्जत करने लगी।
बात बढ़ गई और अंजू ने दलित महिला सावित्री की पिटाई शुरू कर दी। अंजू ने गर्भवती महिला सावित्री के पेट पर जमकर घूंसे मारे और उसका सिर दीवार पर दे मारा। सावित्री छोड़ने की मिन्नतें करती रही, मगर अंजू नहीं मानी और लगातार उसे मारती रही। थोड़ी देर बाद अंजू का लड़का रोहित भी आ गया और उसके डंडे से गर्भवती सावित्री को पीटना शुरू कर दिया।
जब सावित्री की पिटाई हो रही थी , उस वक्त सावित्री की 9 साल की लड़की मनीषा मां के साथ ही थी। उसकी पिटाई होते देख मनीषा दलित बस्ती में मदद के लिए दौड़ी। इसके बाद बस्ती से कुछ महिलाएं मनीषा के साथ मौके पर पहुंचे, उस वक्त भी अंजू और उसका बेटा सावित्री की बुरी तरह पिटाई कर रहे थे। किसी तरह बस्ती की महिलाओं ने सावित्री को उनके चंगुल से छुड़ाया और उसे घर लेकर आए।
इस पिटाई के 6 दिन बाद सावित्री और उसके पेट में पल रहे बच्चे दोनों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी सावित्री की मौत के लिए सिर में लगी चोट को वजह माना गया। इतना ही नहीं रिपोर्ट में भी सामने आया कि सावित्री के गर्भ में पल रहा भ्रूण लड़के का था और वो पूरा विकसित हो चुका था।
घर-घर कचरा उठाकर पेट पालती थी सावित्री-
पिटाई के बाद जिस दलित महिला सावित्री की मौत हुई है। वो गांव में मौजूद अगड़ी जाति के पांच लोगों के घर से कचरा उठाकर रोजाना केवल 100 रूपये ही कमाती थी। जिसमें अंजू का घर शामिल नहीं था।
अंजू के पति दिलीप कुमार ने बताया कि घटना के बाद वो इलाज के लिए पत्नी सावित्री को पास के जिला अस्पताल ले गया था। मगर जिला अस्पताल में इसलिए किसी ने उसका इलाज नहीं किया, क्योंकि अस्पताल को सावित्री के शरीर पर लगी चोट ज्यादा गंभीर नजर नहीं आई।
इस मामले में पुलिस ने भी पति दिलीप की शिकायत के बाद महिला का मेडिकल कराया था। मगर उसमें भी किसी तरह की चोट की बात सामने नहीं आई। ऐसे में पुलिस ने भी मामला दर्ज नहीं किया। मगर दो दिन बाद जब पुलिस गांव पहुंचीं, तब उन्हें प्रत्यक्षदर्शियों के जरिए हकीकत का पता चला ,तब जाकर पुलिस ने पिटाई कांड में मामला दर्ज किया।
इस बीच अस्पताल से वापस आने के बाद से ही सावित्री की तबीयत बिगड़ने लगी। वो लगातार सिर और पेटदर्द की शिकायत कर रही थी। 21 अक्टूबर को उसकी तबीयत और बिगड़ गई। आनन-फानन में पति दिलीप पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचा। मगर अस्पताल पहुंचने से पहले ही सावित्री ने दम तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने जो मामला दर्ज किया था। उसमें कई और संगीन धाराएं जोड़ दी।
दलित महिला सावित्री की मौत की जानकारी लगते ही अंजू और उसका बेटा फरार हो गया। पुलिस ने उनके घर पर दबिश दी। मगर वो नहीं मिले। अंजू के घर पर केवल उसकी शादी-शुदा बेटी ज्योति मिली। जिससे पुलिस ने पूछताछ की।
वहीं इस घटना के बाद गांव के अगड़ी जाति के लोग कुछ भी कहने से बच रहे हैं। वहीं दलित समुदाय के लोग कह रहे हैं कि ये कोई पहला मामला नहीं है, यहां अगड़ी जाति के लोग दलितों पर ऐसे अत्याचार करते रहते हैं और पुलिस में शिकायत करने के नाम पर धमकाते भी हैं। मगर इस बार तो एक दलित महिला की हत्या ही हो गई।