ढाका/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी बांग्लादेश यात्रा के दूसरे दिन शनिवार को
बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की समाधि स्थल पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि आर्पित की। समाधि परिसर में प्रधानमंत्री
मोदी ने पौधारोपण भी किया। इस दौरान उनके साथ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी मौजूद रहीं। तुंगीपारा
में स्थित समाधि स्थल परिसर में रखे विजिटर बुक में प्रधानमंत्री मोदी ने हस्ताक्षर किए। इससे पहले उन्होंने
जशोरेश्वरी काली मंदिर में पूजा अर्चना कर दिन की शुरुआत की थी। मां काली के दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री
मोदी ने मंदिर के निकट ही एक कम्यूनिटी हॉल की आवश्यकता पर जोर दिया था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी
ने कहा कि आज मुझे मां काली के चरणों में आने का सौभाग्य मिला है। जब मैं 2015 में बांग्लादेश आया था तो
मुझे मां ढाकेश्वरी के चरणों में शीश झुकाने का अवसर मिला था। उन्होंने कहा कि मानव जाति आज कोरोना के
कारण अनेक संकटों से गुजर रही है, मां से प्रार्थना है कि पूरी मानव जाति को इस कोरोना के संकट से जल्द
मुक्ति दिलाएं। मां काली के दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उक्त स्थान पर एक कम्यूनिटी हॉल की
आवश्यकता की बात कही। उन्होंने आगे कहा कि भारत यहां पर इस निर्माण कार्य को करेगी। मैं बांग्लादेश सरकार
का आभार मानता हूं कि उन्होंने इस काम के लिए हमारे साथ शुभकामनाएं प्रकट की हैं। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार
को प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय यात्रा पर बांग्लादेश पहुंचे थे। अपनी यात्रा के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने
बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में मुक्ति वाहिनी के योद्धाओं और भारतीय शूरवीरों के शौर्य-पराक्रम और बलिदान
का स्मरण किया था। इस दौरान नेशनल परेड ग्राउंड में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक अत्याचारी सरकार अपने ही लोगों पर किस तरह जुल्म ढाती है, यह 1970-71 में पूरी
दुनिया ने देखा है। आगे उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी हुक्मरानों और सेना के जुल्मों सितम से निजात पाने की
जितनी तड़प इधर (बांग्लादेश) थी, उतनी ही तड़प उधर (भारत) भी थी। उन्होंने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में
भारतीय सेना की गौरवपूर्ण भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि फील्ड मार्शल मानिक शाह, लेफ्टिनेंट जनरल
जगजीत सिंह अरोड़ा, लेफ्टिनेंट जनरल जैकब, अल्बर्ट इक्का जैसे अनेक भारतीय सैनिक अधिकारी और जवान है,
जिन्होंने बांग्लादेश की मुक्ति में योगदान दिया था। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में मोदी ने अपने योगदान का भी
उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उस समय उनकी आयु 20-22 वर्ष थी तथा उन्होंने सत्याग्रह किया था। इस
सिलसिले में वह जेल भी गए थे। यह उनके राजनीतिक जीवन का पहला आंदोलन था।