मनदीप जैन
नई दिल्ली। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने नई पीढ़ी को शिक्षित
बनाने की शिक्षकों की जिम्मेदारी रेखांकित करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि साक्षर और शिक्षित होने
में काफी अंतर है तथा छात्रों को शिक्षित बनाने की जरूरत है ताकि उन्हें ‘क्या करना और क्या नहीं
करना’ का बोध हो सके। छत्तरपुर में एमसीडी प्राथमिक स्कूल में शिक्षक दिवस पर आयोजित समारोह में
नड्डा ने कहा कि शिक्षक दिवस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है जो
20वीं शताब्दी के सबसे बड़े दार्शनिक माने गए। प्रख्यात शिक्षाविद राधाकृष्णन 20 से अधिक भाषाओं के
ज्ञाता थे। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में उनकी विशेष आस्था थी, जिसे आगे बढ़ाने के लिए
उन्होंने हमेशा काम किया। शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को शुभकामनाएं देते हुए भाजपा के कार्यकारी
अध्यक्ष ने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षा में आध्यात्म और राष्ट्रवाद पर गहरा जोर दिया
था। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, ‘उन्होंने (डा. राधाकृष्णन ने) शिक्षा में इन दोनों चीजों के
महत्व को रेखांकित किया था। उनका कहना था कि शिक्षा सिर्फ भौतिक बातें या अंक गणित नहीं है
बल्कि शिक्षा में आध्यात्म का रस होना चाहिए।’’ नड्डा ने कहा कि साक्षर होने और शिक्षित होने में
अंतर है। साक्षर उसे कहते हैं जिसे अंक या अक्षर ज्ञान हो लेकिन शिक्षित उसे कहते हैं जो यह बोध कर
सके कि क्या करना और क्या नहीं करना है। ऐसे में शिक्षकों की जवाबदेही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा
‘‘शिक्षा सिर्फ कक्षा में नहीं दी जा सकती बल्कि बच्चा व्यक्तित्व से भी काफी कुछ सीखता है। छात्र
जीवन में शिक्षकों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। ’’