-ओम प्रकाश उनियाल
नई दिल्ली। लोकपर्वों का अपना अलग ही महत्व होता है। लोकपर्वों में लोक संस्कृति, सभ्यता, रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा एवं परम्पराओं का समावेश होता है जो कि अपनी माटी की खुशबू को बिखेर कर हरेक के जीवन में नयी उमंग, नयी तरंग व नए उल्लास का संचरण करते हैं। हर क्षेत्र के अपने लोकपर्व होते हैं। जो कि समय-समय अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार मनाए जाते हैं। उत्तराखंड का भी एक प्रमुख लोकपर्व है जो कि प्रकृति को संरक्षित करने का संदेश देता है। ‘हरेला’ नाम से मनाए जाने वाला यह पर्व राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में बड़े ही हर्षोल्लासपूर्वक मनाया जाता है। श्रावण मास की शुरुआत और वर्षा ऋतु के आगमन पर चारों तरफ हरियाली ही हरियाली की छटा बिखरी नजर आने लगती है। हरेला पर्व हरियाली का द्योतक है। इस पर्व पर सुख-शांति, धन-धान्य, पशुओं एवं प्रकृति की रक्षा की कामना की जाती है। इस लोकपर्व पर जगह-जगह वृक्षारोपण किया जाता है। तथा धरा को हरा-भरा रखने का संकल्प लोगों द्वारा लिया जाता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास परिसर में वृक्षारोपण किया। उन्होंने आम की पूसा श्रेष्ठ प्रजाति का पौधा लगाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन का पर्व है। हरेला पर्व के उपलक्ष्य में प्रदेश में सामाजिक संगठनों, संस्थाओं एवं विभागों के माध्यम से व्यापक स्तर से वृक्षारोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा जल संरक्षण एवं जल धाराओं के पुनर्जीवन की दिशा में राज्य में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देश में जल संरक्षण और संवर्द्धन के लिए सभी को आगे आने का आवाहन किया गया है। राज्य में इस दिशा में तेजी से कार्य हो रहे हैं। राज्य में 1200 से अधिक अमृत सरोवर बनाए गए हैं। इस दिशा में आगे भी लगातार कार्य होंगे। हरेला पर्व के अवसर पर श्रीमती गीता पुष्कर धामी एवं कैबिनेट मंत्री श्री गणेश जोशी ने भी वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में विभिन्न प्रजातियों के 51 पौधे लगाए गए।