नई दिल्ली। टू-जी घोटाला मामले के आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसलेाफ सीबीआई और ईडी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आज कोई भी कार्यवाही करने से मना कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक आरोपित पौधरोपण अभियान पूरा नहीं कर लेते तब तक वो आगे की कार्यवाही नहीं करेगा। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया । पिछली 7 फरवरी को आरोपितों को बरी किए जाने के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर याचिका पर जवाब दाखिल नहीं करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पांच आरोपितों को तीन-तीन हजार पेड़ लगाने का आदेश दिया था। जस्टिस नाजिम वजीरी ने जिन आरोपितों को पेड़ लगाने का आदेश दिया था उनमें स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद बलवा, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राजीव अग्रवाल के अलावा तीन कंपनियों डीबी रियल्टी, डायनामिक्स रियल्टी और निहार कंस्ट्रक्शन शामिल हैं। जस्टिस नाजिम वजीरी ने कहा था कि ये सभी पौधे देसी होंगे और उनका रखरखाव और देखभाल आगामी मानसून तक करना होगा। पेड़ लगाने के आदेश में संशोधन करने के लिए टू-जी घोटाला मामले के आरोपितों शाहिद बलवा और राजीव अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने पिछले 6 मार्च को अपने पहले के आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया था। जस्टिस नाजिम वजीरी ने कहा था कि आपलोग संपन्न लोग हैं और मुंबई के पॉश इलाकों में रहते हैं और ये खर्च उठा सकते हैं। हालांकि कोर्ट पेड़ों की संख्या घटाने पर सहमत हो गया था । कोर्ट ने पहले आरोपितों को तीन हजार पेड़ लगाने का आदेश दिया था। बाद में कोर्ट ने आरोपितों को डेढ़ हजार पेड़ लगाने की अनुमति दे दी । 6 मार्च को सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया गया था कि इस मामले के सभी आरोपितों ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं। उसके बाद कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था । इस मामले में सीबीआई ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। दो अगस्त, 2018 को मामले की सुनवाई के दौरान एस्सार समूह के प्रमोटर्स रुईया बंधुओं ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की थी। 25 मई, 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया था। हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपितों को नोटिस जारी किया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसम्बर, 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है।