पशुपति के सामने रामविलास की विरासत बचाने की चुनौती

asiakhabar.com | May 5, 2019 | 5:55 pm IST
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चीनिया केला के लिए प्रसिद्घ बिहार का हाजीपुर संसदीय क्षेत्र
दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले वैशाली जिले का हिस्सा है। गंगा और गंडक नदियों के संगम
वाला यह क्षेत्र शुरू से ही समाजवादियों के प्रभाव वाला क्षेत्र माना गया है। इस कारण यहां चुनाव कई
मुद्दों पर लड़े जाते रहे हैं। इस चुनाव में न केवल इस संसदीय क्षेत्र पर पूरे देश की नजर है, बल्कि कहा
जा रहा है कि इस क्षेत्र का परिणाम परिवारवाद की राजनीति पर भी बहस का विषय बनेगा।

इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने यहां से लोक
जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को मैदान में
उतारा है। वहीं, विपक्षी दलों के महागठबंधन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता शिवचंद्र राम को
प्रत्याशी बनाया है।
यहां से कुल 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों के बीच माना जा
रहा है। 18.17 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में हाजीपुर, लालगंज, महुआ,
राजापाकर, राघोपुर तथा महनार विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। हाजीपुर संसदीय क्षेत्र 1952 में सारण सह
चंपारण संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। वर्ष 1957 में यह क्षेत्र अस्तित्व में आया। 1957 से 1971 तक यह
क्षेत्र केसरिया संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।
पिछले चुनाव में यहां से रामविलास पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी संजीव कुमार टोनी को पराजित कर
आठवीं बार हाजीपुर से जीत दर्ज की थी। पासवान को 4,55,652 मत मिले थे, जबकि टोनी को
2,30,152 मत मिले थे। वर्ष 1977 में रामविलास ने यहां से रिकार्ड वोटों से जीतकर गिनीज बुक में
नाम दर्ज कराया था।
इस चुनाव में हालांकि परिस्थितियां बदली नजर आ रही हैं। पिछले चुनाव में राजग में रालोसपा थी,
जबकि जद (यू) अलग थी। लेकिन, इस चुनाव में रालोसपा महागठबंधन के साथ है, और जद (यू) राजग
में है।
लोजपा को इस चुनाव में जहां पासवान जाति के आधार वोट, भाजपा और जद (यू) के काडर वोट और
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर भरोसा है, वहीं राजद प्रत्याशी को अपने सामाजिक समीकरण से
चुनावी वैतरणी पार करने का विश्वास है। मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में दोनों गठबंधन
के नेता भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
केला व्यापारी और दिघी गांव निवासी अशोक सिंह उर्फ मालभोग सिंह कहते हैं, “इसमें कोई शक नहीं कि
केंद्रीय मंत्री पासवान ने इस क्षेत्र में कई विकास के कार्य करवाए हैं, परंतु उन्होंने जितने साल इस क्षेत्र
का प्रतिनिधित्व किया और केंद्र में मंत्री रहे, उसकी तुलना में क्षेत्र में उनकी उपलब्धि गिनने मात्र की
है।”
उन्होंने कहा कि अगर पासवान चाहते तो अभी तक हाजीपुर में समस्याएं खोजने से भी नहीं मिलतीं,
परंतु आज गांव तो गांव शहर में भी कई समस्याएं हैं। लेकिन छात्र अनुभव के लिए यह चुनाव
राष्ट्रभक्ति का चुनाव है। उन्होंने कहा, “क्षेत्र में कोई भी उम्मीदवार हो, अपना वोट राष्ट्रभक्त पार्टी को
दूंगा।”

स्थानीय मौजूदा सांसद रामविलास पासवान द्वारा काम नहीं कराए जाने के संबंध में पूछे जाने पर
उन्होंने कहा कि अगर सांसद ने काम नहीं करवाया तो राघोपुर और महुआ के विधायक ने आज तक
क्या कराया? हाजीपुर के पत्रकार विकास आनंद का कहना है कि मुकाबला कांटे का है। उन्होंने कहा,
“जातीय आधार पर इस क्षेत्र में यादव, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा और पासवान की संख्या अधिक है।
अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं।”
आनंद ने कहा कि दोनों गठबंधनों में शामिल दलों को अपने वोट बैंक और काडर वोटों को अंतिम समय
तक सहेजकर रखना चुनौती है। टिकट बंटवारे से नाराज चल रहे लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप
यादव ने राजद उम्मीदवार शिवचंद्र राम के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। कहा जा रहा है कि वह यहां से
बालेन्द्र दास का समर्थन कर रहे हैं, जबकि राकांपा ने यहां से पूर्व मंत्री दसई चौधरी और बसपा ने उमेश
दास को उतार दिया है। आनंद कहते हैं कि इन उम्मीदवारों में जीतने की क्षमता नहीं है, परंतु ये वोट
काटेंगे, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है। हाजीपुर में पांचवें चरण में छह मई को मतदान होना
है। मतगणना 23 मई को होगी।


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