संदीप चोपड़ा
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के वेतन के भुगतान
का अनुरोध करने वाली एक याचिका का बुधवार को इस आधार पर निपटान किया कि दिल्ली उच्च न्यायालय इस
मामले पर पहले ही विचार कर रही है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वेतन का
भुगतान नहीं किए जाने के संबंध में मीडिया में आई विभिन्न खबरों का उच्च न्यायालय ने पहले ही संज्ञान लिया
हुआ है। पीठ ने कहा, “उच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान की कार्यवाही के मद्देनजर, हम इस मामले का
निपटान करते हुए याचिकाकर्ता को किसी भी तरह का मुद्दा दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष उठाने की छूट देते
हैं।” इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह भी शामिल थे। शीर्ष अदालत ने इस
बात पर भी गौर किया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने चिकित्सकों को तनख्वाह देना शुरू कर दिया है।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता के वी विश्वनाथन ने आशा कर्मचारियों का मुद्दा उठाया जिनके
वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। हालांकि, अदालत ने कहा कि यह मुद्दा उसके समक्ष दायर याचिका के
दायरे में नहीं आता है। पीठ, एक निजी चिकित्सक, आरुषी जैन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें
उन्होंने केंद्र के 15 मई के फैसले पर सवाल उठाया था कि चिकित्सकों के लिए 14 दिन पृथक-वास में रहना
अनिवार्य नहीं है। जैन ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में अग्रिम मोर्चे
पर काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है या उनकी आय में कटौती या देरी की जा रही है।