नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कश्मीर घाटी में अपने परिवार से मुलाकात के
बाद हाल ही में लौटे कानून के छात्र द्वारा दायर हलफनामे का बृहस्पतिवार को संज्ञान लिया और कहा
कि इसमें उठाये गये सभी मुद्दों पर 16 सितंबर को विचार किया जायेगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन
गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने 28 अगस्त को जामिया
मिलिया इस्लामिया से कानून की पढ़ाई कर रहे मोहम्मद अलीम सईद को घाटी के अनंतनाग जिले में
अपने माता पिता से मिलने की इजाजत देने के साथ ही लौटने पर उसे एक हलफनामा दाखिल करने का
निर्देश दिया था।इस छात्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने न्यायालय के निर्देशानुसार
हलफनामा सीलबंद लिफाफे में पीठ के समक्ष पेश किया। पीठ ने कहा, ‘‘हमने आपके हलफनामे का
अवलोकन किया है। हम इसमे उठाये गये सभी मुद्दों पर 16 सितंबर को विचार करेंगे। शीर्ष अदालत ने
इस छात्र की याचिका पर केन्द्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी करने के साथ ही इसी तरह
के मुद्दे उठाने वाली अन्य याचिकाओं के साथ उसकी याचिका संलग्न कर दी। पीठ ने कहा, ‘‘यह
हलफनामा सीलबंद लिफाफे में महासचिव के पास सुरक्षित रखा जाये।’’ कानून के इस छात्र ने अपनी
याचिका में कहा था कि वह अनंतनाग का स्थाई निवासी है और उसे चार-पांच अगस्त के बाद से अपने
माता पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं है। केन्द्र ने पांच अगस्त को ही जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा
खत्म करने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभक्त करने के फैसले की घोषणा की थी। सईद
ने याचिका में कहा था कि उसे संदेह है कि उसके माता पिता को कश्मीर में हिरासत में रखा गया है
क्योंकि वह उनसे किसी भी प्रकार से संपर्क कायम नहीं कर पा रहा है।उसने यह भी दलील दी थी कि
सूचनाओं के आदान प्रदान पर रोक और लोगों के आवागमन पर लगी पाबंदियां संविधान में प्रदत्त मौलिक
अधिकारों का हनन करती हैं।