नागरी लिपि एक सक्षम और समर्थ लिपि है – डॉ हरिसिंह पाल

asiakhabar.com | May 18, 2024 | 5:05 pm IST

नई दिल्ली ” नागरी लिपि विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि होने के कारण एक सक्षम और और समर्थ लिपि है। इसीलिए संविधान निर्माताओं ने नागरी लिपि में लिखी हुई हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा अंगीकार किया था ब्राह्मी लिपि से उद्भूत होने के नाते यह समस्त भारतीय लिपियों की सहोदरा है। संविधान की अष्टम अनुसूची में समाहित 22 भाषाओं में से 12 भाषाओं की लिपि नागरी लिपि है। संविधान का सम्मान करने के लिए हमें नागरी लिपि और हिंदी भाषा का सम्मान करना चाहिए। क्योंकि ये भारतीय संविधान में वर्णित हैं। नागरी लिपि के माध्यम से भारत में राष्ट्रीय एकता की नींव को सुदृढ़ किया जा सकता है।” उक्त विचार, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य और नागरी लिपि परिषद के महामंत्री डॉ हरिसिंह पाल ने अक्ष फाउंडेशन, भोपाल भोपाल द्वारा संघ लोकसेवा आयोग की कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी भर्ती के लिए आयोजित साक्षात्कार परीक्षा में बैठ रहे प्रतियोगियों के लिए आयोजित ‘ नागरी लिपि का इतिहास और विकास एवं वर्तमान परिदृश्य ‘ विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। डॉ पाल ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर प्रतिभागियों को बधाई दी और साक्षात्कार में भी सफल रहने के लिए शुभकामनाएं प्रस्तुत कीं।यह उल्लेखनीय है कि संघ लोकसेवा आयोग ने कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी पद के साक्षात्कार के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम में नागरी लिपि को भी विशिष्ट स्थान दिया है।
प्रारंभ में कार्यशाला के संयोजक श्री अभिषेक प्रकाश ने नागरी वंदना के बाद मुख्य वक्ता डॉ हरिसिंह पाल का परिचय देते हुए बताया कि डॉ पाल विश्व स्तर पर नागरी लिपि का प्रचार प्रसार पूरी कर्मठता और निष्ठा के साथ कर रहे हैं। डॉ पाल आकाशवाणी के वरिष्ठ अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्ति के उपरांत राष्ट्रीय महत्व की संस्था नागरी लिपि परिषद से जुड़ गए और अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, असम, तिरुवनंतपुरम, पुद्दुचेरी में सफल अखिल भारतीय नागरी लिपि सम्मेलनों का सफ़ल आयोजन करा चुके हैं।आज देश विदेश में डॉ हरिसिंह पाल की प्रतिष्ठा एक सफल नागरी प्रचारक के रूप में स्वयं सिद्ध है।
इस प्रशिक्षण कार्यशाला में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ अमित कुमार गुप्ता, अंकित कुशवाहा, शैलेश यादव, सविता कुमारी, अहमदाबाद के डॉ गेलजी भाटिया, उत्तराखंड के श्री विनायक उनियाल, डॉ एपिन सिंह चौहान, पटना के पत्रकार श्री सोनू कुमार, कोरापुट ओडिशा के डॉ उमेश प्रजापति, नागपुर की मराठी हिन्दी लेखिका डॉ नेहा भंडारकर,मेट्स विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ के श्री रतिराम गढेवाल, पुणे महाराष्ट्र के डॉ ध्यानेश्वर रामकिशन हालसे, मध्य प्रदेश की पूजा चौधरी सहित अनेक प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण कार्यशाला को अतिशय सार्थक, सफल और ज्ञानवर्धक बताया और डॉ पाल की विद्वुता के प्रति आभार प्रकट किया। धन्यवाद ज्ञापन संयोजक श्री अभिषेक प्रकाश ने प्रस्तुत किया।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *