सुबोध कुमार
लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तर प्रदेश के अपने दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को
कहा कि देश के सफलतापूर्वक संचालन के लिए अनुशासित नागरिकों का होना जरूरी है। राष्ट्रपति कोविंद ने यहां
कैप्टन मनोज कुमार पांडेय सैनिक स्कूल में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सम्पूर्णानंद की प्रतिमा का अनावरण
करने के बाद स्कूल के हीरक जयंती वर्ष के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'डॉ. सम्पूर्णानंद इस देश
के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने सैनिक स्कूल की स्थापना के बारे में सोचा। उन्होंने यह जरूर अनुभव किया
होगा कि देश का सफलतापूर्वक संचालन करने के लिए अनुशासन जरूरी है। उनके मन में यही बात रही होगी कि
नागरिक को अनुशासित किए बिना देश को विकास के रास्ते पर नहीं लाया जा सकता।'
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि जब हम नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं तो जरूरी है की बेटियों की
सुरक्षा और उनको शिक्षा के समान अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी ने देश के सभी सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के प्रवेश की घोषणा की, लेकिन लखनऊ के कैप्टन मनोज पांडेय
यूपी सैनिक स्कूल में बालिकाओं को तीन वर्ष पहले ही प्रवेश की शुरुआत हो चुकी है। यह बहुत ही सराहनीय है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह देश का पहला सैनिक स्कूल बनेगा जहां की बेटियां इस साल एनडीए की परीक्षा में बैठेंगी।
यह स्कूल वीरों के साथ अब भारतीय सेना को एनडीए के माध्यम से वीरांगनाएं भी देगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक
स्कूल के पूर्व छात्र कैडेटों के संगठन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए पूर्व छात्रों और विद्यालय
प्रशासन को बधाई। जिन्होंने एक नया नाम दिया जो हमेशा विद्यालय के साथ जुड़ा रहेगा। डॉ. संपूर्णानंद देश के
पहले मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने सैनिक स्कूल की स्थापना के बारे में सोचा।
उन्होंने इसका अनुभव किया होगा कि अच्छी दिशा में सफलतापूर्वक प्रशासन चलाने के लिए अनुशासित नागरिक
जरूरी है। जब तक हमारा नागरिक अनुशासित नहीं होगा तब तक देश को आगे नहीं ले जाया जा सकता है। सैनिक
स्कूल देश को शिक्षित व अनुशासित नागरिक देता है। गोरखपुर में हाल ही में नए सैनिक स्कूल का शिलान्यास
किया गया। वर्ष 2021-22 के बजट में देश में 100 नए सैनिक स्कूल खोलने की व्यवस्था की गई है। राष्ट्रपति ने
यह भी कहा कि जब सैनिक भावना के साथ खिलाड़ी मैदान पर उतरता है तो मेजर ध्यान चंद, फ्लाइंग सिख
मिल्खा सिंह और नीरज चोपड़ा इतिहास बनाते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाण्डेय थे जो कारगिल में शहीद हुए। कारगिल शहीदों को
नमन करने के लिए वहां लगातार तीन वर्ष से जाने का प्रयास कर रहा हूं, लेकिन वह सफल नहीं हो पाता। वर्ष
2019 व 2020 के बाद भी जब इस साल गया तो वहां का मौसम बहुत खराब था। सेना के अफसरों ने कहा कि
वहां चीता हेलीकाप्टर नहीं उतर सकता। ऐसे में इस वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के दिन बारामूला के
टाइगर वार मेमोरियल गया। वहां एक संदेश देखा हर काम देश के नाम। यदि हम सब भारतीय अपनी प्रतिदिन की
दिनचर्या में इस संदेश का अनुसरण करें तो हममें राष्ट्र भावना की प्रेरणा और बढ़ेगी। मैने कारगिल स्मृतिका जाने
की उम्मीद नहीं छोड़ी है। सीडीएस से बात हुई है। इस साल दशहरा में मैं कारगिल अवश्य जाऊंगा।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि वह देश के राष्ट्रपति होने के साथ एक संवेदनशील नागरिक भी हैं। अक्सर
जब कहीं यात्रा पर जाता हूं तो मुझे यह पता चलता है कि वहां पर मेरे आगमन से ट्राफिक को बहुत पहले रोका
जाता है। जिससे लोगों को दिक्कत होती है। इससे मुझे पीड़ा होती है। उन लोगों की चिंता भी होती है, हालांकि यह
प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह मुस्तैदी से अपनी डयूटी निभाता है। मैं इसका विरोध नहीं करता, उनको सतर्क
रहना चाहिए। मेरा सुझाव है कि जब भी कोई वीआइपी कार्यक्रम हो तो ट्रैफिक को केवल 10 से 15 मिनट के लिए
ही रोका जाए। ट्रैफिक बहुत पहले रोकना अच्छी बात नहीं है। इसके साथ ही एंबुलेंस या इमरजेंसी वाहनों को कोई
बाधा न हो यह भी सोचना चाहिए। मेरी ही नहीं यदि सीएम की फ्लीट चल रही हो तो उनको रोककर एंबुलेंस को
आगे निकाल सकते हैं। इस जिम्मेदारी के लिए पुलिस व प्रशासन पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता है। सजग
नागरिक की तरह हमको गाड़ी एक के पीछे एक लगाना चाहिए। हम आगे निकलने के चक्कर में हम ट्रैफिक रूल्स
को तोड़ते हैं। जब भी कोई वीआइपी मूवमेंट होता है तो उसे सुचारू रूप से चलाने के लिए हम सबको अहम
जिम्मेदारी निभानी होगी।
कई आयाम स्थापित कर चुका है यूपी सैनिक स्कूल : योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि लखनऊ के कैप्टन मनोज पाण्डेय सैनिक स्कूल ने एक
आयाम स्थापित किया है। ïयह स्कूल दिन पर दिन कई मायने में प्रतिमान गढ़ रहा है। इस विद्यालय के संस्थापक
पूर्व मुख्यमंत्री स्व.सम्पूर्णानन्द ने 1960 के कालखंड में इसकी परिकल्पना की थी कि सैनिक स्कूल होने चाहिए।
इसके बाद भी देश को 1962 में युद्ध में उतरना पड़ा। उस समय उस राजनेता ने ही दूरदर्शीता से इसे भांप लिया
था कि देश को इसकी जरूरत होगी। यह सैनिक स्कूल पहला सैनिक स्कूल है जिसने 2018 में तय किया था कि
इसमें हम बालिकाओं के प्रवेश को अनिवार्य करेंगे। जिससे आधी आबादी अपने आप को उपेक्षित महसूस न करे। मैं
नरेंद्र मोदी और भारत सरकार का आभारी हूं कि अब सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के प्रवेश की अनुमति है। शिक्षा
का मतलब केवल पुस्कतों का ज्ञान नहीं हो सकता बल्कि हम नागरिक के अंदर अधिक से अधिक सकारात्मकता
पैदा कर सकें, कैसे हम हर नागरिक को रचनात्मक बना सकें। मुझे लगता है कि सैनिक स्कूल इसका सबसे अच्छा
माध्यम हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने संकल्प लिया कि देश को सैनिक स्कूलों की आवश्यकता है। सिर्फ सेना ही नही
देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी हम कुशल सैनिक तैयार कर देश को दे सकें। संपूर्णानंद जी इस परिकल्पना को
हमने साकार किया और इस प्रदेश के पांचवें सैनिक स्कूल का शिलान्यास गोरखपुर में किया। उन्होंने कहा कि
हमारी सरकार ने कामकाज संभालते ही लखनऊ के उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल का नाम 2017 मे कारगिल युद्ध के
नायक कैप्टन मनोज पांडेय के नाम पर रखा और उस राष्ट्रनायक को सम्मान दिया। हमने 2018 में ही इस बात
का निर्णय लिया कि बालिकाओं के भी सैनिक स्कूलों में प्रवेश होना चाहि। यही परिकल्पना देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी ने भी की है। उनके निर्देशन में महिला सशक्तिकरण के रूप को साकार करने का कार्य हो रहा है। इस सैनिक
स्कूलों में एक भारत श्रेष्ठ भारत की संरचना को लगातार निरंतर अग्रसर है। आज के इस हीरक जयंती के समारोह
मे महामहिम ने अपना समय दिया, इसके लिए उनको धन्यवाद है। यह देश का पहला ऐसा सैनिक स्कूल है जो
राज्य सरकार संचालित कर रही है।
कार्यक्रम में राष्ट्रपति कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद के अलावा उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दीबेन
पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री गुलाब देवी और
सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ल देश के पहले सैनिक स्कूल कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय
सैनिक स्कूल के हीरक जयन्ती वर्ष के समापन समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने डॉ. सम्पूर्णानंद
की 20 फुट उंची प्रतिमा का अनावरण किया। इसके अलावा इस मौके पर डॉ. सम्पूर्णानंद प्रेक्षागृह का लोकार्पण,
कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ की क्षमता दोगुनी किए जाने की परियोजना,
बालिका छात्रावास का शिलान्यास और डाक टिकट का विमोचन किया गया।
गौरतलब है कि एक जनवरी, 1891 को वाराणसी में जन्मे सम्पूर्णानंद 28 दिसंबर, 1954 से छह दिसंबर, 1960
तक दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा 1962 से 1967 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे। उन्होंने शिक्षा और
साहित्य के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान दिया। उन्होंने 15 जुलाई, 1960 को लखनऊ में देश के पहले सैनिक स्कूल
की स्थापना की थी। बाद में इसका नाम करगिल युद्ध के शहीद और इसी स्कूल के छात्र कैप्टन मनोज कुमार
पांडेय के नाम पर रखा गया। कैप्टन पांडेय को सेना के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया
गया।