नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के सहयोग से, “English Studies in India: Centenary Perspectives” विषय पर एक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ मंगलवार को हुआ। गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय का अंग्रेजी विभाग विश्वविद्यालय के पहले आठ और भारत के सबसे पुराने अंग्रेजी विभागों में से एक, जो इस अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को आयोजित करके अपनी शताब्दी मना रहा है। इस कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र का आयोजन विश्वविद्यालय की शताब्दी समिति के तत्वावधान में विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज स्थित कन्वेंशन हॉल में हुआ जिसमें केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने की। इस अवसर पर आईजीएनसीए के सदस्य सचिव प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित रहे। कॉन्फ्रेंस में विश्वविद्यालय के लगभग 40 कॉलेजों के 300 से अधिक प्रतिभागी और देश के अन्य हिस्सों के विद्वानों सहित चार अंतरराष्ट्रीय रिसोर्स पर्सन भाग ले रहे हैं।कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन स्तर के मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुभाष सरकार ने अपने उद्घाटन भाषण में भारतीय साहित्य को अंग्रेजी पढ़ने वाले पाठकों तक पहुंचाने और वैश्विक पटल पर ले जाने में अनुवाद की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत में अंग्रेजी अध्ययन के प्रचार और विकास के लिए मजबूत संभावनाएं प्रदान करती है। उन्होंने अंग्रेजी अध्ययन को समाज की आवश्यकताओं के लिए आगे और अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए भी तर्क दिया।इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक जीवन में अंग्रेजी विभाग के योगदान की सराहना की। उन्होंने देश के अंग्रेजी विभागों से, विशेष रूप से वैश्विक रोजगार परिदृश्य के अनुरूप समाज से आ रही नई मांगों के संदर्भ में अंग्रेजी भाषा के अध्ययन के नए क्षेत्रों का पता लगाने का आह्वान किया।आईजीएनसीए के सदस्य सचिव प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी ने मुख्य वक्तव्य के माध्यम से भारत में मैकाले के कार्यवृत्त से लेकर अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम, 1835 तक 19वीं शताब्दी के विभिन्न चरणों से वर्तमान तक भारत में अंग्रेजी के विकास को रेखांकित किया। उन्होंने अंग्रेजी के शिक्षण के माध्यम से भारतीय बौद्धिक और सौंदर्यपरक परंपराओं के पुनरुद्धार की अपील की। उन्होंने एनईपी 2020 का जिक्र करते हुए भारतीय संदर्भ में अंग्रेजी के बदलते चरणों और भूमिकाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने सुझाव दिया कि अंग्रेजी पूर्व और पश्चिम के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान की दो-तरफा प्रक्रिया की पेशकश कर सकती है।दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल के. अनेजा ने अपने स्वागत भाषण में विभाग की स्थापना से लेकर अब तक की यात्रा को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे विभाग भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों के बदलते आयामों का जवाब देने के लिए पाठ्यक्रम विकास और शिक्षण सीखने की प्रक्रियाओं के कार्य में संवाद और चर्चा के माध्यम से लगातार जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य समग्र रूप से अंग्रेजी अध्ययन के क्षेत्र में जानकारी प्राप्त करना है।