नई दिल्ली, 06 अप्रैल (वेबवार्ता)। आत्मविश्वास से ओतप्रोत ऋषभ पंत इंडियन प्रीमियर लीग में पहली बार दिल्ली
कैपिटल्स के कप्तान के तौर पर उतरेंगे तो पिछली उपविजेता टीम को पहली बार खिताब दिलाने की उम्मीदों का
बड़ा दारोमदार उनके कंधों पर होगा। संयुक्त अरब अमीरात में फाइनल में हारी दिल्ली की टीम मजबूत बल्लेबाजी
और शानदार तेज आक्रमण के दम पर इस बार भी खिताब की प्रबल दावेदार है। पंत को श्रेयस अय्यर के चोटिल
होने के कारण कप्तानी सौंपी गई है।श्रेयस के कंधे की हड्डी इंग्लैंड के खिलाफ एक दिवसीय श्रृंखला के दौरान लगी
चोट के कारण खिसक गई थी। दिल्ली को दस अप्रैल को चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ पहला मैच खेलना है।
दिल्ली कैपिटल्स टूर्नामेंट की सबसे संतुलित टीमों में से है जिसके पास मजबूत बल्लेबाजी क्रम और शानदार तेज
आक्रमण है। शीर्षक्रम में शिखर धवन, पृथ्वी साव और अजिंक्य रहाणे जैसे अनुभवी बल्लेबाज हैं। उसके पास पंत,
मार्कस स्टोइनिस, शिमरोन हेटमायेर या सैम बिलिंग्स आयेंगे। स्टीव स्मिथ के आने से बल्लेबाजी और मजबूत हुई
है। धवन ( 618) पिछले सत्र में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में दूसरे स्थान पर थे। इंग्लैंड के
खिलाफ वनडे श्रृंखला में उन्होंने 98 और 67 रन बनाये। वहीं साव ने विजय हजारे ट्राफी में 827 रन बनाकर फॉर्म
में लौटने का ऐलान किया। पंत आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला में मैच जिताने वाले प्रदर्शन करने में
कामयाब रहे। गेंदबाजी में दक्षिण अफ्रीका के कैगिसो रबाडा ने पिछले सत्र में परपल कैप हासिल की थी। वहीं
एनरिच नोर्किया की गेंदबाजी भी शानदार थी। टीम के पास क्रिस वोक्स, ईशांत शर्मा और उमेश यादव जैसे तेज
गेंदबाज भी हैं।
दिल्ली की मूल कमजोरी अपने धुरंधर खिलाड़ियों के विकल्प के तौर पर उनकी टक्कर के खिलाड़ियों का अभाव है।
यही वजह है कि वे रबाडा और नोर्किया को आराम नहीं दे सके। विकेटकीपिंग में भी पंत के चोटिल होने पर उनके
पास विकल्प नहीं है। इस बार केरल के विष्णु विनोद टीम में हैं लेकिन वह अनुभवहीन हैं।
गेंदबाजी में ईशांत और उमेश अब सीमित ओवरों का क्रिकेट नहीं खेलते हैं।
पंत के पास यह बड़ा मौका है कि वे महेंद्र सिंह धोनी के साये से निकलकर खिताब के साथ खुद को साबित कर
सकें। उनके पास टी20 विश्व कप की तैयारी का भी यह सुनहरा मौका है। वहीं धवन सलामी बल्लेबाज के तौर पर
अपनी जगह पक्की करना चाहेंगे।
पंत को ध्यान रखना होगा कि कप्तानी के अतिरिक्त बोझ तले उनकी आक्रामक बल्लेबाजी नहीं प्रभावित होने पाये।
वहीं दिल्ली टीम को रबाडा और नोर्किया पर अतिरिक्त निर्भरता से बचना होगा। पिछली बार पहले नौ में से सात
मैच जीतने के बाद दिल्ली लगातार चार मैच हार गई थी। उसे इस बार आत्ममुग्धता से बचना होगा।