नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए एक बार मुश्किलें खड़ी हो गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दो विधायकों पर मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ धक्का-मुक्की करने का आरोप लगा है। मुख्य सचिव द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद आईएएस अधिकारियों ने हड़ताल की घोषणा कर दी है।
वहीं दूसरी तरफ आप नेता आशिष खेतान ने पुलिस में शिकायत की है कि सचिवालय में उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ है जिसके बाद पुलिस पहुंची है। वहीं हंगामे के बाद सचिवालय में काम बंद हो चुका है और अधिकारी बाहर आ गए हैं।
इससे पहले मामले को लेकर एलजी से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए डीएसएएस के अध्यक्ष डीएन सिंह ने कहा कि जब तक विधायकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं करते तब तक हड़ताल जारी रहेगी। यह हड़ताल तत्काल प्रभाव से शुरू होगी।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री केजरीवाल ने देर रात मुख्य सचिव और विधायकों की इमरजेंसी बैठक बुलाई थी। आरोप है कि इस बैठक के दौरान ही आप विधायकों ने मुख्य सचिव के साथ दुर्व्यवहार किया। घटना के बाद आईएएस अधिकारियों ने एलजी से मिलकर शिकायत करने का निर्णय लिया है। वहीं मुख्य सचिव घटना के बाद ही एलजी से मिल चुके हैं।
खबरों के अनुसार आरोपों के बाद भाजपा ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा है वहीं पार्टी ने सभी आरोपों को खारिज किया है।
मुख्य सचिव के आरोपों के बाद दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ट्वीट कर लिखा है कि ‘अरविंद केजरीवाल और उनके गुंडे विधायकों ने कल रात एनसीटी दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ दुर्व्यवहार करने के साथ ही धमकी भी दी। आप के गुंडों का एक और शर्मनाक काम, यह अर्बन नक्सलीज्म है।’वहीं पूरे मामले में आम आदमी पार्टी ने सफाई देते हुए आरोपों से इन्कार किया है। आप ने अपने ट्विटर अकाउंट पर सफाई देते हुए लिखा है कि ‘2.5 लाख लोगों को राशन नहीं मिला है और इसका दबाव विधायकों पर है। मुख्यमंत्री आवास पर विधायकों की बैठक थी जहां मुख्य सचिव ने विधायकों के सवालों का जवाब देने से इन्कार कर दिया और कहा कि वो सिर्फ एलजी के प्रति ही जवाबदेह हैं। इसके बाद वो बैठक से चले गए। अब वो इस तरह के आरोप लगा रहे हैं, जाहिर है यह सब वो भाजपा की शै पर कर रहे हैं।’कांग्रेस नेता अजय माकन ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि यह बहुत गंभीर घटना है। 3 साल में केजरीवाल सरकार का सबसे नीचा स्तर देखने को मिला है, मैं केंद्र में भी रहा और दिल्ली सरकार में भी रहा हूं 3 साल में हालात ये है कि दिल्ली के अधिकारी अब दिल्ली से बाहर ट्रांसफर चाहते हैं जबकि पहले हर कोई दिल्ली में काम करना चाहता था। दिल्ली में सरकार एक तरफ झूठे प्रचार में लगी है और दूसरी तरफ अपनी गलतियों का ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ा जाता है। ये सरकार पूरी तरह से फेल हुई है और बहाना अधिकारियों पर डालना चाहते हैं दिल्ली में 15 साल कांग्रेस की सरकार रही है, हमने कभी अपनी मर्जी से चीफ सेक्रेटरी नही नियुक्त कराया क्योकि वो हम नही करा सकते थे