संजय गर्ग
नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान
लालकिले पर तिरंगे के अपमान में जेल में बंद दीप सिद्धू की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी है। एडिशनल
सेशंस जज नीलोफर आबिदा परवीन ने दिल्ली पुलिस को दीप सिद्धू के वीडियो की ट्रांसक्रिप्ट दाखिल करने का
निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी। सुनवाई के दौरान आज दीप सिद्धू की ओर से पेश
वकील अभिषेक गुप्ता ने एफआईआर पढ़ते हुए कहा कि 26 जनवरी को दोपहर 12 बजे के करीब एक हजार लोग
लालकिले की ओर बढ़ने लगे। उन्होंने कहा कि एफआईआर के मुताबिक लोगों की भीड़ ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश
की और पुलिसकर्मियों को कुचलने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इस एफआईआर में उन लोगों का ही नाम
आना चाहिए जो हिंसा में शामिल रहे। दीप सिद्धू को भी दिल्ली पुलिस ने आरोपित किया है, लेकिन वो किसी
किसान संगठन का सदस्य नहीं है। दीप सिद्धू ने ट्रैक्टर रैली निकालने या लालकिला जाने के लिए कोई आह्वान
नहीं किया था। इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि दीप सिद्धू ने बैरिकेड तोड़े या हिंसा में शामिल था। अभिषेक
गुप्ता ने कहा कि दीप सिद्धू लालकिले पर देर से पहुंचा। पूरे रूट और फोन रिकार्ड की दिल्ली पुलिस ने तहकीकात
की है। दीप सिद्धू किसी भी हिंसा में शामिल नहीं रहा है। दिल्ली पुलिस के पास सीसीटीवी फुटेज है, वे बताएं कि
दीप सिद्धू ने कहां हिंसा की। जब दीप सिद्धू लालकिले से चला गया तब हिंसा हुई। उन्होंने कहा कि दीप सिद्धू
लोगों को शांत करने की कोशिश कर रहा था। दीप सिद्धू ने कई पंजाबी फिल्मों में काम किया है। वो गलत जगह
और गलत समय पर मौजूद था। दीप सिद्धू की अपराध करने की कोई मंशा नहीं थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली
पुलिस ने कहा कि दीप सिद्धू दोपहर एक बजकर 54 मिनट पर लालकिले पहुंचा। दिल्ली पुलिस ने कहा कि दीप
सिद्धू ने हिंसा भड़काने और उकसाने का काम किया। इस हिंसा में 144 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से जख्मी हुए। कुछ
प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों को ट्रैक्टर से कुचलने की कोशिश कीं। पुलिसकर्मियों पर हमले दीप सिद्धू के
लालकिले पर पहुंचने के बाद शुरू हुए। उसके बाद वो तेजी से चिल्लाने लगा और भीड़ को उकसाने लगा। दिल्ली
पुलिस ने कहा कि जब लालकिला रैली के रूट में नहीं था तो वे वहां कैसे गए। अगर कृषि कानूनों के खिलाफ
उनका शांतिपूर्ण प्रदर्शन था तो वे लालकिला कैसे और क्यों गए। दीप सिद्धू का एजेंडा केवल भारत को बदनाम
करना था। दिल्ली पुलिस ने कहा कि क्या पुलिसकर्मियों का कोई मौलिक अधिकार नहीं था। क्या भारत को बदनाम
करना मौलिक अधिकार है। इसपर अभिषेक गुप्ता ने कहा कि इस दलील में दम नहीं है। उन्होंने कहा कि वो इस
संबंध में रिकार्ड किए गए वीडियो पेश कर सकते हैं। उसके बाद कोर्ट ने उनसे वीडियो के ट्रांस्क्रिप्ट दाखिल करने
का निर्देश दिया। उल्लेखनीय है कि पिछले 26 फरवरी को कोर्ट ने दीप सिद्धू की जमानत याचिका खारिज कर दी
थी। पिछले 23 फरवरी को कोर्ट ने दीप सिद्धू को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। दीप सिद्धू को
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हरियाणा के करनाल से पिछले 9 फरवरी को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस
ने कहा था कि दीप के खिलाफ वीडियोग्राफी सबूत हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक सिद्धू ने लोगों को भड़काया
जिसके चलते लोगों ने सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने कहा था कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली
के दौरान नियमों का उल्लंघन किया गया। लालकिले पर झंडा फहराया गया। दीप सिद्धू दंगों में सबसे आगे था।
लालकिले पर 140 पुलिसकर्मियों पर हमला हुआ। उनके सर पर तलवारों से चोटें आईं। दिल्ली पुलिस ने कहा था
कि वीडियो में साफ दिख रहा कि दीप सिद्धू झंडे और लाठी के साथ लालकिले में घुस रहा था। वो जुगराज सिंह
के साथ था।