ताजमहल के संरक्षण के लिए आगरा नगर निगम ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की इजाजत मांगी

asiakhabar.com | February 22, 2019 | 5:34 pm IST
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नई दिल्ली। ताजमहल के संरक्षण के मामले पर सुनवाई के दौरान आगरा नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की इजाजत देने की मांग की। आगरा नगर निगम ने कहा कि हमने उसके लिए जगह खोज ली है। आगरा नगर निगम की इस मांग का याचिकाकर्ता ने विरोध किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि टीटीजेड ज़ोन में इस तरह का प्लांट नहीं लगाया जा सकता है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से 6 हफ्ते के अंदर जगह का निरीक्षण कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। पिछले 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार को ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए तत्परता दिखानी चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार 4 सप्ताह में विजन डॉक्यूमेंट दें, क्योंकि हम ताजमहल को लेकर चिंतित हैं। 29 नवंबर 2018 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ताजमहल पर विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। इसे 8 हफ्ते में तैयार कर लिया जाएगा। विजन डॉक्यूमेंट ड्राफ्ट कमेटी की अधिकारी और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की मीनाक्षी धोते ने कोर्ट को बताया था कि विजन डॉक्यूमेंट के बारे में लोगों के सुझाव मिल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अगले हफ्ते वे यूपी सरकार को विजन डॉक्यूमेंट दे देंगी। कोर्ट ने कहा था कि विजन डॉक्यूमेंट मिलते ही उसे सार्वजनिक कर दिया जाए। 25 सितंबर 2018 को कोर्ट ने यूपी सरकार को विजन डॉक्यूमेंट बनाने की समय सीमा बढ़ा दी थी। कोर्ट ने यूपी सरकार को विजन डॉक्यूमेंट 15 नवंबर तक तैयार करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कहा था कि ये संभव नहीं है कि पूरे आगरा को हेरिटेज सिटी घोषित कर दिया जाए। यूपी सरकार ने कहा था कि आगरा के कुछ इलाकों को संरक्षित क्षेत्र में लाया जा सकता है ताकि आगरा में विश्व प्रसिद्ध तीन ऐतिहासिक महत्व के इमारतों का संरक्षण किया जा सके। 28 अगस्त 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से विशेषज्ञ कमिटी को सुझाव देने का निर्देश दिया था। इस कमिटी का गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया है। कोर्ट ने कहा था कि कमिटी ताज के पास के उद्योग, हरित क्षेत्र, यमुना के प्रदूषण समेत सभी पहलुओं पर गौर कर रिपोर्ट तैयार करे। प्रो. मीनाक्षी धोते के नेतृत्व वाली एक्सपर्ट कमिटी ने कोर्ट को बताया था कि ताज क्षेत्र में जितने उद्योग की जानकारी यूपी सरकार ने दी है, संख्या उससे अलग है। तब कोर्ट ने कहा था कि जब संख्या गलत है तो सरकार का विजन डॉक्यूमेंट कैसा होगा, ये समझा जा सकता है। 30 जुलाई 2018 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि पर्यावरण मंत्रालय के ज्वायंट सेक्रेटरी केंद्र की तरफ से और ताज ट्रेपेजियम ज़ोन (टीटीजेड) के अध्यक्ष यानी आगरा मंडल के कमिश्नर यूपी की तरफ से जवाबदेह अधिकारी होंगे। कोर्ट ने सुझाव को मंज़ूर करते हुए कहा था कि अब से ये दोनों ही हलफनामा दाखिल करें। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारी चिंता यूनेस्को की चिंता से ज्यादा होनी चाहिए। एएसआई ने कहा था कि हमने 2013 में ही यूनेस्को को योजना दे दी थी। एएसआई ने कहा था कि उसके महानिदेशक ही ताजमहल के मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार होंगे।


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