
नई दिल्ली ” सूचना प्रौद्योगिकी की बदौलत अब सरकारी काम काज में नागरी लिपि और हिंदी भाषा का प्रयोग आसान हो गया है। भारतीय संविधान के भाग-17 के अनुच्छेद 343(1) में नागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी को भारत संघ की राजभाषा स्वीकार्य किया गया है। इसलिए भारत सरकार के समस्त कर्मियों का दायित्व है कि वे अपना सरकारी काम काज नागरी हिंदी में करने का प्रयास करें।अब सभी कंप्यूटरों में नागरी हिंदी का फोंट उपलब्ध है और बोलकर भी नागरी लिपि और हिंदी भाषा टाइप किया जा सकता है।अब लगभग सभी विषयों की शब्दावलियां भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग ने तैयार कर दी हैं , जो आसानी से उपलब्ध हैं। दृढ़ निश्चय और संकल्प के साथ नागरी हिंदी में सरकारी काम काज को करने का लक्ष्य आसानी प्राप्त किया जा सकता है।” उक्त विचार नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री प्रख्यात साहित्यकार डॉ हरिसिंह पाल ने राष्ट्रपति भवन के केंद्रीय लोक निर्माण विभाग द्वारा ‘ भारतीय संविधान और राजभाषा हिंदी ‘ विषय पर आयोजित हिंदी कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। विभाग की राजभाषा प्रभारी श्रीमती स्वाति तिवारी ने डॉ पाल का परिचय देते हुए हिंदी कार्यशाला में उनका स्वागत किया। डॉ पाल ने अपने डेढ़ घंटे के शोधपरक व्याख्यान में राजभाषा हिंदी की संवैधानिक स्थिति और इसके विकास एवं प्रगति पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यशाला में डॉ पाल ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और आकाशवाणी के काम काज में राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन के अनुभव को प्रतिभागियों के समक्ष साझा किया। डॉ पाल ने प्रतिभागियों की दैनिक सरकारी काम काज में आने वाली मुश्किलों का समाधान भी प्रस्तुत किया।
विभाग प्रमुख एवं अधीक्षण अभियंता श्री नित्यानंद भ्रमर ने पौधा और राष्ट्रपति भवन का विशेष कलम भेंट कर स्वागत किया। उन्होंने डॉ पाल के विभाग में आने और उनके विद्वत्ता पूर्ण व्याख्यान के लिए विभाग की ओर से आभार भी प्रकट किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन के केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में अधिकांश सरकारी काम काज नागरी लिपि और हिंदी भाषा में ही किया जाता है। सभी अभियंता, प्रशासनिक अधिकारी और कर्मी नागरी हिंदी में सरकारी काम काज कर गौरवान्वित होते हैं।
राजभाषा प्रभारी श्रीमती स्वाति तिवारी ने डॉ पाल के विभाग में आगमन को शुभ संकेत माना और उनके शोधपरक एवं तथ्यात्मक व्याख्यान को बहुत ही उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण बताया।यह उल्लेखनीय है कि डॉ हरिसिंह पाल को भारत सरकार के अनेक मंत्रालय, विभाग और संस्थान राजभाषा कार्यशालाओं और संगोष्ठियों में व्याख्यान के निरंतर आमंत्रित करते रहते हैं। नागरी लिपि परिषद के महामंत्री और अखिल विश्व हिंदी समिति, न्यूयॉर्क अमेरिका की वैश्विक हिंदी पत्रिका सौरभ के संपादक के रूप में आपकी ख्याति देश विदेश में है।