नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज में विवेकानंद कॉलेज के सहयोग से जी- 20 शिखर सम्मेलन को लेकर सांस्कृतिक-सह-शैक्षणिक गतिविधियों की श्रृंखला में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भारत-मैक्सिको की साझी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत पर आधारित इस कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय सांस्कृतिक परिषद के चेयरपर्सन अनूप लाठर रहे जबकि उनके साथ विशिष्ट अतिथि के तौर पर डा.. इंदर मोहन कपाही, प्रो. अजय कुमार सिंह और प्रो. रविंद्र कुमार उपस्थित रहे। इस अवसर पर कॉलेज प्राचार्य डॉ. आर एन दुबे एवं विवेकानंद कॉलेज प्राचार्या प्रो. हिना नंदराजोग भी उपस्थित रही।
दिल्ली विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक परिषद के चेयर पर्सन अनूप लाठर ने अपने संबोधन कहा कि भारत-मैक्सिको दोनों देश उपनिवेश रहे हैं। मैक्सिको और भारत ने उपनिवेशवाद की त्रासदी झेली है। दोनों ने सांस्कृतिक हमलों को झेला है। दोनों की भाषा, समाज और संस्कृति इससे प्रभावित हुई है। आज भारत तेजी से टॉप इकोनॉमी बनने की ओर बढ़ रहा है। जी- 20 को लेकर कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे का उद्देश्य भारत की वर्षों की मेहनत है। पिछले आठ नौ साल में सरकार ने जिन उपलब्धियों को हासिल किया है ,आज का जी-20 उसी का प्रतिफलन है। अनूप लाठर ने सभागार में उपस्थित विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि भारतीय युवाओं में बहुत सामर्थ्य है जो भारत को बहुत आगे ले जाएगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार सिंह ने कहा कि पहले मिलेनियम डेवलपमेंट की बात होती थी जो आगे चलकर सतत विकास के रूप में सामने आई। बिना भावी पीढ़ी से समझौता किए सतत विकास पर आज जोर दिया जा रहा है ताकि आगामी पीढ़ी के लिए संसाधन बचे रहें। प्रो. सिंह ने एस डी जी रिपोर्ट 2023 का संदर्भ देते हुए भारत और मैक्सिको के सामने आने वाली चुनौतियों की चर्चा की। उन्होंने दोनों देशों के विकास की तुलना भी की। उन्होंने आबादी, जलवायु परिवर्तन, महिला, जैव विविधता, पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन, शहरीकरण, सुरक्षा आदि पैरामीटर पर दोनों देशों की तुलना की। उन्होंने कहा कि एक धरती ,एक परिवार और एक भविष्य की अवधारणा आज के समय की जरूरत है। प्रो. अजय कुमार सिंह ने भारत और मैक्सिको की शिक्षा की तुलना करते हुए कहा कि सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त करने में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्रो. सिंह ने बताया कि आगे बढ़कर हमें अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय सांस्कृतिक परिषद के डीन डॉ. रविंद्र कुमार ने कार्यक्रम की तैयारियों के लिए विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि आयोजन में दोनों देशों की सांस्कृतिक झलक दिखाई दी। उन्होंने कहा कि भारत युवा आबादी वाला देश है। भारत के सांस्कृतिक परिवेश को बचाए रखने में महिलाओं की बड़ी भूमिका रही है। भारत विश्व में स्त्री नेतृत्व की अवधारणा के पक्ष में है। हॉलीवुड की फिल्म लूसी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मानवीयता को बचाने के लिए वही काम करना चाहिए जो शरीर का एक सेल मरने से पहले दूसरे सेल को जानकारी देकर करता है। आज सभी देशों को जानकारी साझा करनी चाहिए। भारत की हरित क्रांति में मैक्सिको की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गेहूं का उत्पादन बढ़ाने में मैक्सिको की भूमिका उल्लेखनीय है। दोनों देशों की संस्कृति भी मिलती है और दोनों देश एक दूसरे की संस्कृति को प्रोत्साहित और संरक्षित करने के लिए प्रयासरत हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद के सदस्य डॉ. इंदर मोहन कपाही ने कहा कि मैक्सिको और भारत में अनेक समानताएं हैं। विकास को सतत बनाए रखने में शिक्षा का रोल उल्लेखनीय है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ की लीडरशिप भारत कर रहा है और इसका फायदा भारत को संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद की सदस्यता में मिल सकता है। भारत ने चंद्रयान और मिडिल ईस्ट कॉरिडोर का मॉडल प्रस्तुत कर अपनी ग्लोबल लीडरशिप की झलक पेश कर दी है। जी- 20 में सर्व सम्मति से सभी देशों द्वारा प्रस्ताव पास किया जाना दिखाता है कि भारत का वैश्विक रोल महत्वपूर्ण हो चुका है। इस कार्यक्रम के आयोजन से दिल्ली में संसाधनों का विकास हुआ है। कई नई इमारतें बनी है।
उदघाटन सत्र में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर एन दुबे ने मैक्सिको और भारत के संबंधों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए वैश्विक एकता पर जोर दिया। इस सन्दर्भ में उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम् को वैश्विक एकता का आधार बताया। प्रो. दूबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंच प्रण सशक्त भारत के मूल मंत्र हैं। विवेकानंद कॉलेज की प्राचार्या प्रो. हिना नंदराजोग ने कहा कि साहित्य और सिनेमा के माध्यम से भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार हुआ है। उन्होंने कहा कि अनेक कहानीकार हुए हैं जिन्होंने भारतीय संस्कृति का संरक्षण किया है।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रो. परमजीत और डॉ. अनिल कुमार कलकल उपस्थित रहे। डॉ. कलकल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी संस्थान में शैक्षणिक के साथ-साथ सांस्कृतिक और खेल-कूद आदि गतिविधियों में हिस्सा लेने से ही सर्वांगीण व्यक्तित्व का विकास होता है। कार्यक्रम के अंत में डॉ. भीमराव अम्बेडकर कॉलेज और विवेकानंद कॉलेज के विद्यार्थियों ने भारत-मैक्सिको की साझा संस्कृति की मनोरम प्रस्तुतियां की। कार्यक्रम का संयोजन प्रो. विष्णु मोहन दास और संचालन प्रो. पूनम मित्तल और प्रो. जया वर्मा ने किया।