नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक परिषद एवं विश्वविद्यालय के अरबी विभाग द्वारा “इंडो सऊदी रिलेशन: थ्रू द एजेज” विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार 12 अक्टूबर को संपन्न हो गया। समापन अवसर पर फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन प्रो. ए.के. सिंह बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग के बारे में विस्तार से बात की और कोविड के दिनों में आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया। जेएनयू के प्रोफेसर महेंद्र प्रताप राणा ने समापन भाषण दिया। राणा ने अपने भाषण में दोनों देशों के बीच व्यापार, कृषि और ऐतिहासिक संबंधों के बारे में विस्तार से चर्चा की। पहले सत्र का संचालन सुश्री प्रीति भारती ने किया।
सेमिनार के दूसरे दिन दो अकादमिक सत्र आयोजित किये गये। पहले सत्र में जामिया हमदर्द के डॉ. अबरू अमान अंद्राबी और डॉ. ओमैर अनस ने अपने पेपर प्रस्तुत किए। डॉ. अंद्राबी का पेपर दोनों देशों के बीच शैक्षिक संबंधों पर था जिसमें उन्होंने विद्यार्थी विनिमय कार्यक्रम, छात्रवृत्ति और अकादमिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया। दूसरा पेपर डॉ. ओमैर अनस ने प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने कहा कि अब दोनों देश बदल गए हैं, इसलिए हमें नए सऊदी अरब और नए भारत के बारे में बात करनी चाहिए। कई मतभेदों के बावजूद वे, विशेष रूप से अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में, आगे बढ़ने पर सहमत हुए हैं। सत्र का संचालन डॉ. अबू तुराब ने किया। दूसरे सत्र में जामिया हमदर्द के डॉ. सुमैया अहमद और जेएमआई से प्रोफेसर एच.ए. नाज़मी ने दोनों देशों को करीब लाने के लिए भारतीय प्रवासियों की भूमिका और पूरे पश्चिम एशिया को गहन रूप से समझने के लिए अरबी भाषा की भूमिका पर अपने पेपर प्रस्तुत किए।
प्रो. नईमुल हसन ने कार्यवाही का संचालन किया जबकि डॉ. असगर महमूद ने धन्यवाद ज्ञापन किया। प्रोफेसर मुश्ताक आलम कादरी, डॉ. महताब जहां, डॉ. मुजीब अख्तर, डॉ. मोहम्मद अकरम, डॉ. जफीरुद्दीन, डॉ. ज़ार निगार सहित कई अन्य विद्वानों और प्रोफेसरों ने कार्यक्रम में भाग लिया।