नई दिल्ली।दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि शिक्षा सबके लिए सुलभ होनी चाहिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) का यही मकसद है और दिल्ली विश्वविद्यालय इसे लेकर पूरी तरह से गंभीर है। प्रो. योगेश सिंह एनईपी 2020 के तीन वर्ष पूरे होने पर दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज स्थित कन्वेंशन हॉल में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कुलपति ने एनईपी 2020 को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय की अब तक की उपलब्धियां भी गिनवाई। पत्रकार वार्ता के दौरान मणिपुर घटनाक्रम पर एक प्रश्न के उत्तर में कुलपति ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय मणिपुर हिंसा पीड़ित विद्यार्थियों हेतु हर सहायता के लिए तैयार है। इस अवसर पर डीयू दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. के. रत्नाबली और पीआरओ अनूप लाठर भी उपस्थित रहे।
कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य से 29 जुलाई 2020 को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) लॉन्च की गई थी। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा पहल करते हुए देश में सबसे पहले इसे लागू किया गया। कुलपति ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 से अंडर ग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क 2022 (यूजीसीएफ) के माध्यम से स्नातक स्तर पर एनईपी 2020 को लागू किया है। उन्होंने बताया कि यूजीसीएफ 2022 को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह विद्यार्थियों को बहु-विषयक दृष्टिकोण के साथ अपने शैक्षणिक पथ को विकसित करने के लिए लचीलापन देता है। अनुसंधान और नवाचार पर जोर देने के साथ-साथ समग्र और कौशल शिक्षा प्रदान करता है। इसका उद्देश्य विश्लेषणात्मक और रचनात्मक सोच विकसित करना है। यूजीसीएफ 2022 में इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप तथा प्रोजेक्ट और सामुदायिक आउटरीच के प्रावधानों को शामिल किया गया है।
कुलपति ने कहा कि एनईपी के फॉर्मेट और रेगुलराइजेशन पर बहुत काम हो गया है, अब इसका दूसरा चरण शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षक और शिक्षार्थी का गहरा संबंध रहा है। भारत गुरु-शिष्य परंपरा पर बहुत लंबे समय तक चला है। अंग्रेज़ जो शिक्षा पद्धति लेकर आए, उन्हें अफसर चाहियें थे। कुलपति ने बताया कि एनईपी 2020 में ये विचार रखा गया है कि सभी संस्थान डिग्रियाँ देने वाले हों। हालांकि फिलहाल यह बड़ी चुनौती है। इसके कार्यान्वयन में वक्त लगेगा। लेकिन इस पर धीरे धीरे काम हो रहा है। कुलपति ने एनईपी को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए कहा कि कोई भी नया प्रावधान परिवर्तनों की ओर लेकर जाता है, और परिवर्तनों को शुरू में स्वीकारने में कुछ दिक्कतें आती हैं। एनईपी को सभी ने खुले मन से स्वीकार किया है और शिक्षक भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यूजी कैरीकुलम फ्रेमवर्क 2022 के तहत पढ़ाई शुरू हो चुकी है। अब आगे पीजी कैरीकुलम फ्रेमवर्क पर काम होगा।
एक प्रश्न के उत्तर में कुलपति ने बताया कि किसी भी अन्य विश्वविद्यालय से अगर कोई विद्यार्थी 3 वर्षीय यूजी प्रोग्राम पास कर के आता है तो दिल्ली विश्वविद्यालय में उसे 2 वर्षीय पीजी प्रोग्राम में दाखिला मिलेगा और जो 4 वर्षीय यूजी प्रोग्राम पास करके आएगा तो उसे एक वर्षीय पीजी प्रोग्राम में दाखिला मिलेगा। उन्होने बताया कि विदेशी विश्वविद्यालयों से भी एमओयू साइन हो रहे हैं और ज्वाइंट डिग्री प्रोग्रामों के लिए योजना तैयार हो रही है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में 22 भारतीय भाषाओं की पढ़ाई को लेकर प्रश्न के उत्तर में कुलपति ने कहा कि विद्यार्थी पढ़ने वाले होने चाहियें उनके लिए इन भाषाओं के शिक्षक जोड़े जाएंगे। इसके लिए योजना अनुसार कॉलेजों के क्लस्टर भी बनाए गए हैं, ताकि कम विद्यार्थियों की स्थिति में संयुक्त रूप से विद्यार्थियों को पढ़ाया जा सके।
मणिपुर हिंसा पीड़ितों के लिए डीयू तैयार
मणिपुर में हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की योजना को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि मणिपुर की दिक्कत को पूरा देश समझता है। दिल्ली विश्वविद्यालय ऐसे सभी पीड़ित विद्यार्थियों के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार है। यदि किसी विद्यार्थी को कोई दिक्कत है तो वह डीयू प्रशासन से संपर्क कर सकता है। हम हर तरह से मदद करने के लिए तैयार हैं। अगर अलग से भी कुछ प्रावधान करने की जरूरत पड़ी तो विश्वविद्यालय उन्हें करने का प्रयास करेगा। हिन्दू स्टडीज़ को लेकर पूछे गए एक प्रश्न पर कुलपति ने कहा कि इसपर अभी काम चल रहा है। लगभग एक सप्ताह में एडमिशन पॉलिसी आ जाएगी। फिलहाल यह प्रायोगिक तौर पर किया जा रहा है।
मेरिट और उम्र के आधार पर होगा सीईएस में प्रवेश
कुलपति ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई अनूठी योजना, कॉम्पिटेंस एन्हांशमेंट स्कीम, के लिए भी रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। मीडिया द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कुलपति ने बताया कि इस योजना के तहत कोई भी नागरिक अपने कौशल को बढ़ाने के लिए डीयू के वर्तमान प्रोग्रामों में प्रवेश ले सकता है। उन्होने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो किसी मौजूदा पाठ्यक्रम के लिए निर्दिष्ट न्यूनतम पात्रता मानदंड और पूर्व-आवश्यकताएं, यदि कोई हो, पूरी करता है, तो सीटों की उपलब्धता के अधीन, उस पाठ्यक्रम के लिए पंजीकरण करवा सकता है। 60 वर्ष से कम उम्र वाले आवेदकों को कोर्स की अनिवार्य योग्यता के आधार पर प्रवेश किया जाएगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रवेश मेरिट और उम्र के आधार पर होगा, जहां योग्यता और उम्र को क्रमशः 70% और 30% का महत्व दिया जाएगा। पाठ्यक्रम में सीटों की संख्या उस पाठ्यक्रम की कक्षा की कुल क्षमता का अधिकतम 10% या 6 सीटें, जो भी कम हो, होगी। उन्होने बताया कि किसी पाठ्यक्रम में सीईएस के तहत इन सीटों को अतिरिक्त माना जाएगा।
सीयूईटी से सभी प्रदेशों के विद्यार्थियों को मिल रहा उचित मौका
सीयूईटी टेस्ट को लेकर पूछे गए एक प्रश्न पर कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि देश में कई तरह के शिक्षा बोर्ड काम कर रहे हैं। सभी का मार्किंग सिस्टम अलग-अलग हो सकता है। इसलिए सीयूईटी से सभी प्रदेशों के विद्यार्थियों को दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए उचित मौका मिल रहा है। उन्होने कहा कि यह सीयूईटी का दूसरा वर्ष है। पिछले वर्ष के अनुभवों के आधार पर कई बदलाव हुए हैं। कुलपति ने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा टेस्ट था जिसे एनटीए ने बखूबी आयोजित करके बड़ा काम किया है। उन्होने उम्मीद जताई कि अगली बार यह इस वर्ष से भी अच्छा होगा।
675 बहु विषयक और कौशल शिक्षा के 109 पाठ्यक्रम
पत्रकार वार्ता के दौरान डीयू की डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. के. रत्नाबली ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एनईपी 2020 के कार्यान्वयन को लेकर पीपीटी के माध्यम से विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होने बताया कि दिल्ली विश्ववियालय ने स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को केंद्र में रख कर एनईपी 2020 का कार्यान्वयन शुरू किया है। इसी के अनुसार विश्वविद्यालय ने यूजीसीएफ़ 2022 तैयार किया है। इसमें 675 बहुविषयक पाठ्यक्रम शामिल किए गए हैं। समग्र शिक्षा के तहत कौशल शिक्षा के 109 पाठ्यक्रम शामिल किए गए हैं। रिसर्च और इनोवेशन पर पूरा ध्यान रखा गया है।
एनईपी 2020- नया क्या है?
यूजीसीएफ़ 2022 के अनुसार इसके अनुसार विद्यार्थी अपनी रुचि के प्रोग्राम चुने सकते हैं। अपनी शिक्षा योजना के अनुसार वह मेजर और माइनर विषय चुन सकते हैं। जैसे कि मेजर सबजेक्ट फिजिक्स के साथ माइनर के रूप में संस्कृत का चयन किया जा सकता है। विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार कौशल पाठ्यक्रमों में से भी विकल्प चुन सकते हैं या इंटर्नशिप/अप्रेंटिसशिप/सामुदायिक आउटरीच/प्रोजेक्ट का विकल्प चुन सकते हैं। डेजीटेशन/ अकेडमिक प्रोजेक्ट या एंटरप्रेन्योरशिप का विकल्प चुन सकते हैं। समग्र शिक्षा के तहत योग्यता संवर्धन पाठ्यक्रमों के रूप में 22 भारतीय भाषाएं और ईवीएस व 26 मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। अनुसंधान और नवाचार को केंद्र में रखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने उदमोद्य फाउंडेशन की स्थापना की है।चार वर्ष के प्रोग्राम में प्रत्येक वर्ष के बाद प्रमाणपत्र/डिप्लोमा/डिग्री/ऑनर्स डिग्री का प्रावधान किया गया है। आजीवन सीखने, अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग का भी प्रावधान शिक्षा नीति में किया गया है। व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की श्रृंखला में एक्वाकल्चर उद्यमिता, मछली पालन, मछली आहार का निर्माण, मछली प्रजनन और लार्वा पालन, सजावटी मछली उत्पादन, बायो-फ्लॉक प्रौद्योगिकी और मोती उत्पादन जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को जोड़ना शामिल है।