संजय गर्ग
नई दिल्ली। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की ओर से 1,000
लो-फ्लोर एसी बसों की खरीद और वार्षिक रखरखाव अनुबंध (एएमसी) से संबंधित सौदे की सीबीआई जांच की
सिफारिश की है, जिसके बाद परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि डीटीसी द्वारा बसों
की खरीद में लंबी अवधि की देरी हो सकती है।
अधिकारी ने कहा कि 2008 के बाद से डीटीसी ने एक भी बस नहीं खरीदी है और एएमसी का 15 साल का अनुबंध
समाप्त होने के बाद डीटीसी को अपनी सेवाएं बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि अनुबंध के 12 साल पहले ही पूरे हो चुके हैं और डीटीसी इसे अगले तीन साल के लिए बढ़ाने की
प्रक्रिया में है।
अधिकारी ने कहा, मुझे नहीं लगता कि डीटीसी अगले कुछ वर्षों तक नई बसों को खरीदने में सक्षम होगी जब तक
कि गृह मंत्रालय द्वारा अनुशंसित जांच पूरी नहीं हो जाती, जिसमें लंबा समय लग सकता है। यह न केवल नई
बसों की खरीद की संभावना को रोक देगा, बल्कि डीटीसी के तहत कई डवलपमेंट पर भी असर पड़ेगा। डीटीसी
द्वारा 2008 से नई बसों की खरीद के लिए लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, डीटीसी को कई अन्य सेवाओं के लिए बोली लगाने
वालों को खोजने में अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि कंपनियां विवाद में नहीं पड़ना
चाहती हैं।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा गठित एक समिति ने 1,000 लो-फ्लोर वातानुकूलित बसों की खरीद
और एपीएम से संबंधित विभिन्न खामियां बताई, जिसके बाद एमएचए ने मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश
की है।
तीन सदस्यीय समिति ने एएमसी टेंडर में पात्रता मापदंड को लेकर सवाल उठाया था।
समिति ने अपनी 11 पन्नों की रिपोर्ट में पाया था कि एएमसी ने गुटबंदी और एकाधिकार मूल्य निर्धारण को
प्रोत्साहित किया।
इसमें खरीद और एएमसी टेंडरिंग की एक सीक्वेंसिंग भी शामिल थी, जिसमें एक ऐसी स्थिति पैदा हुई जहां दोनों
बोलीदाताओं को पता था कि वे खेल में एकमात्र खिलाड़ी हैं।
एमएचए के अतिरिक्त सचिव (केंद्र शासित प्रदेश), गोविंद मोहन ने 16 अगस्त को दिल्ली के मुख्य सचिव विजय
देव को केंद्र के फैसले से अवगत कराया था।
मोहन ने मुख्य सचिव को लिखा, मैं यह दिल्ली सरकार द्वारा 1,000 लो-फ्लोर बसों की खरीद और मामले की
विस्तृत जांच के लिए एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के संबंध में
लिख रहा हूं।
उन्होंने कहा, इस मंत्रालय में मामले की जांच की गई है और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के साथ, डीओपीटी से
केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा मामले में प्रारंभिक जांच करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है।
हालांकि, दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया है कि आप
सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।
विवाद के बावजूद, दिल्ली सरकार ने अभी तक इस सौदे को रद्द नहीं किया है, बल्कि इसे 12 जून को रोक दिया
है।
वर्तमान में, 11,000 से अधिक बसों की आवश्यकता के मुकाबले दिल्ली में कुल 6,793 बसें हैं, जिनमें से 3,760
डीटीसी के तहत हैं और 3,033 क्लस्टर योजना के तहत हैं।
मार्च 2020 से, क्लस्टर योजना के तहत कुल 452 नई बसें जोड़ी गईं हैं, लेकिन 2008 से डीटीसी के तहत एक भी
बस को शामिल नहीं किया गया है।