ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘उड़ान योजना’ के तहत शिलांग-डिब्रूगढ़ मार्ग पर पहली सीधी उड़ान को झंडी दिखाकर रवाना किया

asiakhabar.com | October 26, 2021 | 4:00 pm IST

नई दिल्ली,

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री, श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, एमओएस, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, जनरल डॉ. वीके सिंह (सेवानिवृत्त), एमओएस, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, श्री राजीव बंसल, सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) के साथ भारत सरकार की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना-उड़े देश का आम नागरिक (आरसीएस-उड़ान) के तहत शिलांग-डिब्रूगढ़ मार्ग पर पहली सीधी उड़ान को वर्चुअली झंडी दिखाकर रवाना किया।

श्री कोनराड संगमा, मुख्यमंत्री, मेघालय राज्य के मुख्यमंत्री, श्री प्रेस्टन तिनसॉन्ग, मेघालय राज्य के उपमुख्यमंत्री, श्री विन्सेंट एच पाला, संसद सदस्य, लोकसभा, शिलांग, मेघालय-संसद सदस्य (लोकसभा), डॉ. वानवेरॉय खारलुखी, संसद सदस्य, राज्य सभा, शिलांग, मेघालय, श्री दासखियात्भा लामारे, मंत्री परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग (भवन), मेघालय राज्य और श्री सनबोर शुलाई आदि ने शिलांग-डिब्रूगढ़ उड़ान के शुरू होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।

इस अवसर पर श्रीमती उषा पाधी, संयुक्त सचिव, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एमओसीए के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा, “शिलांग दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे पानी वाले स्थानों में से एक है। यह स्थान देश ही नहीं पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। रोलिंग पहाड़ियों, गुफाओं, सबसे ऊंचे झरनों, सुंदर परिदृश्य और इसकी समृद्ध विरासत और संस्कृति की उपस्थिति के कारण शिलांग को हमेशा पूर्व के स्कॉटलैंड के रूप में जाना जाता है। ऐसा कुछ भी नहीं है जो मेघालय के पास न हो। यह जगह दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती है।”

मंत्री ने आगे जोर देकर कहा कि “2014 में, उत्तर पूर्व में केवल 6 हवाई अड्डे चालू थे जो अब 2021 में बढ़कर 15 हवाई अड्डे हो गए हैं। सिर्फ 7 साल की छोटी सी अवधि में हमने इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल कर लिया है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यह सिर्फ शुरुआत है, हम उत्तर-पूर्व की अंतर्राज्यीय (राज्य के अंदर) और राज्यान्तरिक (राज्य के बाहर) कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए और प्रतिबद्ध हैं। हवाई जहाज से कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के अलावा, हमारा फोकस अंतिम छोर तक डिलीवरी के लिए हेलिकॉप्टर सेवाओं के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमताओं को विकसित करने पर है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमने हाल ही में उत्तर-पूर्व में हेली सेवाओं को और बढ़ावा देने के लिए हेलीकॉप्टर नीति शुरू की है। हम चाहते हैं कि देश भर से यात्रियों को पूर्वोत्तर की यात्रा पर लाया जाए।

शिलांग का खूबसूरत शहर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों की कारण यह क्षेत्र प्रसिद्ध है। शिलांग पूरे उत्तर-पूर्वी भारत के लिए शिक्षा का केंद्र है। सौंदर्य और शिक्षा केंद्र होने के अलावा, शिलांग मेघालय के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है, जो भारी वर्षा, गुफाओं, सबसे ऊंचे झरनों, सुंदर परिदृश्य और अपनी समृद्ध विरासत और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध राज्य है। शिलांग एलीफेंट फॉल्स, शिलांग पीक, उमियाम लेक, सोहपेटबनेंग पीक, डॉन बॉस्को म्यूजियम, लैटलम कैन्यन के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, शिलांग उत्तर पूर्व भारत का एकमात्र राजधानी शहर है, जो आई-लीग में भाग लेने वाले दो फुटबॉल क्लबों की मेजबानी करता है, जिसे रॉयल वाहिंगदोह एफसी और शिलांग लाजोंग एफसी के नाम से जाना जाता है। इनके अलावा, शिलांग का गोल्फ कोर्स देश के सबसे पुराने गोल्फ कोर्सों में से एक है।

परिवहन के किसी भी सीधे साधन की अनुपलब्धता के कारण, अभी तक लोगों को शिलांग और डिब्रूगढ़ के बीच यात्रा करने के लिए सड़क और ट्रेन द्वारा 12 घंटे की लंबी यात्रा को करने के लिए मजबूर होना पड़ता था। अब, यहां के रहने वाले निवासी केवल 75 मिनट की उड़ान का विकल्प चुनकर दोनों शहरों के बीच आसानी से यात्रा कर सकते हैं।

उड़ान 4 बोली प्रक्रिया के दौरान एयरलाइन मैसर्स इंडिगो को शिलांग-डिब्रूगढ़ मार्ग पर हवाई सेवा शुरू करने की अनुमति दी गई थी। आम लोगों के लिए किरायों को कम करने और सुलभ रखने के लिए उड़ान योजना के तहत एयरलाइंस को वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) प्रदान की जा रही है। एयरलाइन अपने 78 सीटों वाले एटीआर 72 विमान से यहां हवाई सेवा मुहैया कराएगी।

उड़ान योजना के तहत अब तक 389 मार्गों और 62 हवाई अड्डों (5 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित) का संचालन किया जा चुका है। इस योजना की परिकल्पना देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मजबूत हवाई संपर्क स्थापित करने के लिए की गई है, जो भारत के विमानन बाजार में एक नए क्षेत्रीय खंड की नींव रखते हुए अब तक जुड़े नहीं थे।


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