नई दिल्ली। आजादी के बाद अपनी तरह की पहली कवायद में केंद्र सरकार ने 3डी
मॉडलिंग, ड्रोन और उपग्रह तस्वीरों जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग करते हुए रक्षा मंत्रालय की 17.78 लाख
एकड़ भूमि का सर्वेक्षण किया है।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि छावनियों के अंदर लगभग 1.61 लाख एकड़ और छावनियों के बाहर 16.17 लाख
एकड़ रक्षा भूमि का सर्वेक्षण करने की बड़ी कवायद अक्टूबर 2018 में शुरू हुई थी जो अब पूरी हो गई है। मंत्रालय
ने कहा, ‘‘यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है क्योंकि आजादी के बाद पहली बार नवीनतम सर्वेक्षण तकनीक का
उपयोग करके समूची रक्षा भूमि का सर्वेक्षण किया गया है।’’
मंत्रालय ने कहा कि देश भर में लगभग 4,900 क्षेत्र में फैली जमीन, कई स्थानों पर दुर्गम इलाके, भूमि का बड़ा
आकार और विभिन्न हितधारकों का एक साथ मिलकर काम करना इस सर्वेक्षण को देश के ‘‘सबसे बड़े’’ भूमि
सर्वेक्षणों में से एक बनाता है।
मंत्रालय ने कहा कि आधुनिक सर्वेक्षण तकनीकों जैसे इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन, डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग
सिस्टम के साथ-साथ ड्रोन और उपग्रह तस्वीरों का उपयोग ‘‘विश्वसनीय, मजबूत और समयबद्ध’’ परिणामों को
सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। सर्वेक्षण प्रक्रिया को ‘‘तेज, विश्वसनीय, मजबूत’’ बनाने और समयबद्ध
परिणामों के लिए ड्रोन चित्रण इमेजरी और उपग्रह चित्रण आधारित सर्वेक्षण का लाभ उठाया गया।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘राजस्थान में पहली बार लाखों एकड़ रक्षा भूमि के सर्वेक्षण के लिए ड्रोन चित्रण
(ड्रोन के जरिये तस्वीरें लेने) सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया गया। भारत के महासर्वेक्षक की सहायता से पूरे
क्षेत्र का सर्वेक्षण कुछ ही हफ्तों में किया गया, जिसमें पहले वर्षों लग जाते थे।’’
इसके अलावा, कई रक्षा भूमि क्षेत्र के लिए पहली बार उपग्रह चित्रण आधारित सर्वेक्षण किया गया था। विशेष रूप
से कुछ इलाकों में फिर से लाखों एकड़ रक्षा भूमि को मापने के लिए उपग्रह चित्रण सर्वेक्षण किया गया। बयान में
कहा गया, ‘‘भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के सहयोग से डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) का
उपयोग करके पहाड़ी क्षेत्र में रक्षा भूमि के बेहतर दृश्य के लिए 3डी मॉडलिंग तकनीक भी शुरू की गई है।’’
रक्षा मंत्रालय के तहत संचालित होने वाले रक्षा संपदा महानिदेशालय सर्वेक्षण के लिए नोडल एजेंसी थी।
बयान के मुताबिक 17.78 लाख एकड़ भूमि में से 8.90 लाख एकड़ का सर्वेक्षण पिछले तीन महीनों के दौरान
किया गया। सर्वेक्षण के तहत रक्षा भूमि पर अतिक्रमणों का पता लगाने के लिए ‘टाइम सीरीज सैटेलाइट इमेजरी’
पर आधारित ‘रीयल टाइम चेंज डिटेक्शन सिस्टम’ के लिए एक परियोजना भी शुरू की गई है।
बयान में कहा गया, ‘‘नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर और ‘नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर जियो-इंफॉर्मेटिक्स साइंस एंड
टेक्नोलॉजी’ जैसे प्रमुख संस्थानों के सहयोग से रक्षा संपदा संगठन के तकनीकी कर्मियों और अधिकारियों में क्षमता
निर्माण के कारण इस तरह के एक विशाल सर्वेक्षण को पूरा करना संभव हो पाया है।’’ बयान के मुताबिक, ‘‘16.38
लाख एकड़ भूमि में से लगभग 18,000 एकड़ या तो राज्य द्वारा किराए पर ली गई है या अन्य सरकारी विभागों
में स्थानांतरण के लिए रिकॉर्ड से हटाने का प्रस्ताव है।’’