नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों में शिकायतकर्ताओं और गवाहों को आरोपियों या संगठनों द्वारा परेशान किए जाने या प्रतिशोध की कार्रवाई से बचाने के निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 2020 में भी इसी प्रकार की याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपने मामले के समर्थन में विशिष्ट उदाहरण देने चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत ने इसी तरह के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करने का छह जनवरी, 2020 को निर्णय सुनाया था। याचिकाकर्ता ने बताया है कि उसने स्मरण पत्र (रिमाइंडर) के साथ प्राधिकारियों को ज्ञापन दिया है। हम याचिकाकर्ता को ज्ञापन के साथ प्राधिकारियों से संपर्क करने की छूट देते हैं, ताकि इस संबंध में फैसला किया जा सके कि शिकायत पर गौर करने की आवश्यकता है या नहीं। शिकायत की उचित स्तर पर जांच होने दीजिए।’’
शीर्ष अदालत ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों में गवाहों और शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा के लिए निर्देश दिए जाने का अनुरोध करने वाली कानूनी पेशेवर सुनीता थवानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।