नई दिल्ली। राज्यसभा में शनिवार को कांग्रेस के सदस्य अहमद पटेल ने मांग की कि
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को वित्तीय मदद दी जाए ताकि वे कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल बंद
होने की वजह से चल रहीं ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ ले सकें। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान अहमद पटेल ने
यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल बंद होने की वजह से ऑनलाइन कक्षाएं चल
रही हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कक्षाओं के पीछे स्कूलों का मकसद फीस वसूलना है। उन्होंने कहा कि आर्थिक
रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के पास इन कक्षाओं में हिस्सा लेने के लिए पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप और
स्मार्ट फोन आदि की सुविधा नहीं है। पटेल ने कहा '' संसाधनों के अभाव में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्र
इन ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। कोविड-19 महामारी की वजह से पहले ही परेशान अभिभावकों
पर अब उनके लिए यह संसाधन जुटाने का दबाव बन रहा है। कुछ राज्यों से तो छात्रों द्वारा आत्महत्या करने तक
की खबरें आई हैं।'' उन्होंने कहा कि 75वें नेशनल सर्वे के अनुसार, केवल 24 फीसदी घरों में ही इंटरनेट का
उपयोग हो रहा है और इनमें से नौ फीसदी छात्र ही इसका उपयोग कर पा रहे हैं। पटेल ने कहा ''2014 में सरकार
ने ढाई लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोडने का वादा किया था। लेकिन यह वादा केवल वादा ही रहा। स्थिति
यह है कि अब तक केवल 23000 ग्राम पंचायतें ही ब्रॉडबैंड से जुड पाई हैं।’’ उन्होंने सरकार से मांग की कि
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को वित्तीय मदद दी जाए ताकि वे कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल बंद
होने की वजह से चल रहीं ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ ले सकें और अपनी पढाई जारी रखें। उन्होंने यह भी कहा
कि एक कार्यबल बनाया जाना चाहिए जो पूरी स्थिति को देखे। इसके अलावा राज्य सरकारों से परामर्श कर
ऑनलाइन कक्षाओं के लिए दिशानिर्देश बनाए जाएं।