गाजियाबाद। देश की वायुसेना रविवार को अपना 85वां स्थापना दिवस मना रही है। सुबह 8 बजे से हिंडन एयरबेस में कार्यक्रम शुरू हुआ। वायुसेना प्रमुख वीएस धनोआ ने वायुसैनिकों को संबोधित किया और फिर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वायुसेना की तैयारियों व दमखम के बारे में बताया।
इस मौके पर वायुसेना ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और इस मौके पर सुखोई, जगुआर, तेजस, मिराज, मिग, लड़ाकू विमान सी 17, सी 130जे जैसे मालवाहक विमान और हेलीकॉप्टर एयर डिस्पले में शामिल हुए।
वायुसेना अपना स्थापना दिवस ऐसे समय मना रहा है कि जबकि चीन डोकलाम में आंखे तरेर रहा है। वायुसेना चीफ ने दो दिन पहले ही कहा था कि भारतीय सेना पाकिस्तान और चीन से एक साथ निपटने के लिए तैयार है।
भारत के दुश्मन वायुसेना के लड़ाकू विमानों की सैन्य ताकत को देखकर दांतों तले उगंलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे। जब सुखोई, मिग, मिराज और चेतक जैसे विमान उड़ान भरेंगे तो दुश्मन घबरा उठेंगे। हिंडन एयरबेस में 85वें वायु सेना दिवस की परेड में शुक्रवार को जाबांजों ने जमीं से आसमां तक भारतीय वायु सेना की शौर्य गाथा लिखते हुए मार्शल पद्म विभूषण अर्जन सिंह को लड़ाकू विमानों से पराक्रमी श्रद्धांजलि देने की तैयारी को अंतिम रूप दिया।
आसमानी रंग की पोशाक से सजे वायु सेना के जाबांजों के हैरतअंगेज करतबों को देख वायु सेनास्थल, हिंडन में मौजूद हजारों दर्शकों के दिल में देशभक्ति हिलोरे मारने लगी।
आठ हजार फीट की ऊंचाई से तिरंगा के रूप में उतरे आकाश गंगा के जाबांजों ने अनुशासन और हिम्मत से आसमान को झुका दिया।
टाइगर मोथ, हावर, तेजस, हरक्युलिस, ग्लोब मास्टर, मिराज, सुखोई, जैगुआर, त्रिशूल, सारंग और सूर्य किरण पर सवार जाबांजों ने आसमान में भारतीय वायु सेना की ताकत दिखाई। इस वर्ष भारतीय वायु सेना मार्शल पद्म विभूषण अर्जन सिंह को वायु सेना दिवस समर्पित करेगी।
लड़ाकू विमानों से पराक्रमी श्रद्धांजलि दी जाएगी। यही कारण है कि समारोह स्थल पर तैयार किए गए परिदृश्य में मार्शल अर्जन सिंह के चित्र को केंद्र में रखा गया है। परिदृश्य में भारतीय वायु सेना के सातों कमानों के प्रतीकों को चित्रित किया गया है।
पांच विमानों के द्वारा वायु क्षमताओं को दर्शाया गया है। लहराते हुए राष्ट्रीय ध्वज से वायु सेना का देश के प्रति तत्परता व कर्तव्य निष्ठा को दिखाया गया है।
यमुना एक्सप्रेस वे पर लड़ाकू विमान मिराज के सफलतापूर्वक लैंडिंग को गर्व के साथ प्रदर्शित गया है। हिमालय की चोटी पर तिरंगा फहराते जांबजों को चित्रित किया गया है।
पराक्रमी को किया जाएगा याद –
पंजाब के लयालपुर (अब पाकिस्तान का फैसलाबाद) में 15 अप्रैल 1919 को जन्मे अर्जन सिंह औलख फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक हासिल करने वाले वायु सेना के इकलौते ऑफिसर थे। 19 साल की उम्र में अर्जन सिंह ने रॉयल एयर फोर्स कॉलेज में प्रवेश लिया था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने बर्मा अब म्यांमार में बतौर पायलट और कमांडर अद्भुत साहस का परिचय दिया था। 1950 में भारत के गणराज्य बनने के बाद अर्जन सिंह को ऑपरेशनल ग्रुप का कमांडर बनाया गया। यह ग्रुप भारत में सभी तरह के ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होता है।
गत 16 सितंबर को दिल्ली के आरआर अस्पताल में उनका निधन हो गया। वायु सेनास्थल हिंडन में रविवार को मिशन अखंडता उत्कृष्टता थीम पर मनाए जाने वाले 85वें वायु सेना दिवस के मौके पर उन्हें उनके पराक्रमी व्यक्तित्व की तरह विशेष श्रद्धांजलि दी जा जाएगी।