राजीव गोयल
नई दिल्ली। ‘एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (ईजीआई) ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ
राजद्रोह के मुकदमे पर उच्चतम न्यायालय के फैसला का शुक्रवार को स्वागत किया और ‘‘कठोर’’ और ‘‘पुराने’’
राजद्रोह कानूनों को रद्द करने की मांग की। उच्चतम न्यायालय ने एक यूट्यूब कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
के बारे में कथित टिप्पणियों के लिए दुआ के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि
1962 के एक फैसले के तहत राजद्रोह के मामलों में पत्रकारों को सुरक्षा का अधिकार है। गिल्ड ने एक बयान में
कहा, ‘‘ईजीआई स्वतंत्र मीडिया और हमारे लोकतंत्र पर राजद्रोह के कानूनों के कठोर असर पर उच्चतम न्यायालय
की चिंताओं पर संतोष जताता है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘गिल्ड इन कठोर और पुराने कानूनों को रद्द करने की
मांग करती है जिनका किसी भी आधुनिक उदार लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है।’’ गिल्ड ने कहा कि उच्चतम
न्यायालय ने दुआ के खिलाफ आपराधिक शिकायत को न केवल रद्द किया बल्कि राजद्रोह के मामलों से पत्रकारों
की सुरक्षा करने की महत्ता पर भी जोर दिया। गिल्ड ने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति केदार नाथ सिंह के पूर्व के फैसले का
संदर्भ और राजद्रोह के आरोपों से पत्रकारों को सुरक्षा देने की जरूरत स्वागत योग्य है लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों
में कानून प्रवर्तन प्राधिकारियों ने जिस तरीके से कानून लागू किए, उसके चलते मुकदमा चलाए जाने से पहले जेल
में बंद कर दिया जाता है और उच्चतम न्यायालय को इसमें भी हस्तक्षेप करने की आवश्कयता है।’’