नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शीर्ष अदालत के बारे में पिछले साल कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए दायर अवमानना याचिका पर शुक्रवार को गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने नरसिंहानंद को नोटिस जारी किया और कार्यकर्ता शचि नेल्ली द्वारा दायर अवमानना याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने पीठ को सूचित किया कि उन्हें कथित अवमाननाकर्ता नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए तत्कालीन अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की सहमति मिल गई है।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 अक्टूबर को याचिककर्ता से नरसिंहानंद के बयान वाले वीडियो की सामग्री का प्रतिलेखन (ट्रांसक्रिप्शन) पेश करने को कहा था।
वेणुगोपाल ने 22 जनवरी 2022 को पुजारी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के नेल्ली के अनुरोध के प्रति सहमति व्यक्त कर दी थी।
न्यायालय की अवमानना अधिनियम की धारा-15 के तहत किसी व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक अवमानना याचिका पर शीर्ष अदालत में सुनवाई से पहले अटॉर्नी जनरल की सहमति आवश्यक है।
नेल्ली ने अपनी याचिका में नरसिंहानंद द्वारा एक यूट्यूब चैनल को दिए गए साक्षात्कार में की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी का जिक्र किया है। वह वीडियो 14 जनवरी 2022 को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। यह टिप्पणी हरिद्वार में नफरत भरे भाषण के संबंध में शीर्ष अदालत में विचाराधीन मुकदमे के संदर्भ में की गई थी।