सचिन गुप्ता
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आखिरी क्षण में अदालत का रुख करते हुए ‘‘प्रचार पाने
के पैंतरे’’ के लिए एक एनजीओ की बुधवार को खिंचाई की। एनजीओ ने यहां सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में
अधिक पारदर्शिता के लिए परीक्षा परिणाम घोषित करने से पहले 10वीं कक्षा के छात्रों के अंकों के मूल्यांकन के
मापदंड का तार्किक दस्तावेज अपनी वेबसाइटों पर प्रकाशित करने का निर्देश देने का अनुरोध अदालत से किया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि एनजीओ को निजी वादी की तरह बर्ताव नहीं करना चाहिए। न्यायमूर्ति मनमोहन और
न्यायमूर्ति नवीन चावला की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘‘आप सोचते हैं कि आप अंतिम क्षण में आएंगे और हर
चीज पर रोक लगवा सकेंगे। यह प्रचार पाने का पैंतरा है। यह बहुत खराब बात है। आप हमारे साथ जो कर रहे हैं
वह बहुत अनुचित है। किसी निजी वादी की तरह बर्ताव मत करिए। आप जनहित में याचिकाएं दायर करते हैं, आप
किसी सामान्य वादी की तरह बर्ताव नहीं कर सकते। आपको किसी बड़े उद्देश्य के लिए याचिका दायर करनी
चाहिए।’’
कुछ दलीलों के बाद एनजीओ ‘जस्टिस फॉर ऑल’ की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह अर्जी वापस लेना चाहते
हैं। अदालत ने उन्हें अर्जी वापस लेने की मंजूरी दी और मुख्य याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध करने के लिये
आवेदन दायर करने की अनुमति दी। इस याचिका पर अगस्त में सुनवाई होनी है।
यह अर्जी एक लंबित याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर दायर की गई, जिसमें याचिकाकर्ता एनजीओ ने स्कूलों
द्वारा आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर 10वीं बोर्ड 2021 की परीक्षाओं के लिए अंक सारणी के वास्ते केंद्रीय
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की नीति में संशोधन का अनुरोध किया है।