
एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का आदर्श यह है कि तमाम नीतियों के संबंध में फैसले करने का अधिकार देश के नागरिकों के पास हो। लेकिन भारत या दुनिया के किसी भी अन्य पितृसत्तात्मक समाज वाले मुल्क में जब नीतियां बनती हैं तो उन्हें लैंगिक समानता के ...आगे पढ़ें asiakhabar.com | December 8, 2016 | 1:30 pm IST