
राजनीति बिना शोहरत के नहीं चलती है और शोहरत बिना नाम और काम के नहीं मिलती है। सियासत के मैदान में वही नेता लम्ब समय तक टिका रहता है जिमसें धैर्य कूट−कूट कर भरा हो। अपमान का कड़वे से कड़वा घूंट पीने की क्षमता हो। ...आगे पढ़ें asiakhabar.com | November 9, 2017 | 4:45 pm IST