भारत: इस वर्ल्ड साइट डे (विश्व दृष्टि दिवस) पर, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक अपने ‘सीइंग इज बिलीविंग’ (‘देखना ही विश्वास है’) कार्यक्रम की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है, जो टालने योग्य अंधेपन (ब्लाइंडनेस) को खत्म करने के लिए समर्पित एक पहल है। भारत में 2003 में लॉन्च होने के बाद से, यह कार्यक्रम रणनीतिक सहयोग और पहल के माध्यम से 15 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंच चुका है, वहीं अगले 3 साल में इसे 18 मिलियन तक ले जाने का लक्ष्य है।
पिछले दो दशकों में, सीइंग इज बिलीविंग समर्थित परियोजनाओं ने 3.5 मिलियन से अधिक मोतियाबिंद प्रोसिजर (मोतियाबिंद का ऑपरेशन) की हैं, 600000 से अधिक चश्मे वितरित किए हैं, और इन समर्थित परियोजनाओं के माध्यम से 11,327 टेली परामर्श आयोजित किए हैं। ये आंकड़े भारत में व्हीजन यानी दृष्टि और आई हेल्थ (नेत्र स्वास्थ्य) में सुधार के लिए इन पहल के महत्वपूर्ण प्रभाव को दिखाते हैं।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने प्राथमिक आई केयर के पूरे इकोसिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इनोवेशन, क्षमता का निर्माण और ट्रेनिंग यानी प्रशिक्षण की आवश्यकता को भी पहचाना है। इस सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए, बैंक ने भारत में 3 एकेडमी (दिल्ली, हैदराबाद और मदुरै) को समर्थन दिया है, जिन्होंने प्राथमिक आई केयर को बढ़ावा देने के लिए 100000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया है।
भारत में, ‘सीइंग इज बिलीविंग’ ने 22 राज्यों में 450 से अधिक व्हीजन सेंटर यानी दृष्टि केंद्रों की स्थापना करके एक मजबूत आई केयर बुनियादी ढांचे की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें से 50% महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। बैंक अक्टूबर महीने के हर दिन में एक यानी पूरे महीने में अन्य 31 व्हीजन सेंटर जोड़कर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में इस नेटवर्क का विस्तार करने की योजना बना रहा है। बैंक ने टेलीमेडिसिन के माध्यम से घर घर तक पहुंचने के लिए भविष्य के विजन सेंटर का समर्थन करके और इलाज की आवश्यकता वाले लोगों को सर्वोत्तम उपलब्ध देखभाल प्रदान करके प्राथमिक आई केयर का भविष्य मजबूत करने के लिए भी निवेश किया है।
अगले 3 साल में, बैंक अपनी समर्थित परियोजनाओं के माध्यम से 1,12,000 से ज्यादा मोतियाबिंद प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए अतिरिक्त 3 मिलियन व्यक्तियों तक पहुंचने की दिशा में काम कर रहा है। इसके साथ ही, बैंक टालने योग्य अंधेपन को खत्म करने की अपनी यात्रा के अनुरूप 380,000+ चश्मे वितरित करने का लक्ष्य बना रहा है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने इस कार्यक्रम को और विस्तार देने के लिए अपनी प्रमुख रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की है:
· जिन क्षेत्रों में अब तक आईकेयर की सुविधा नहीं है, वहां विस्तार करना
· टेक्नोलॉजी और साझेदारी के माध्यम से इनोवेशन को बढ़ावा देना
· आंखों की देखभाल को शामिल करने के लिए सेवाओं में विविधता लाना
· लीडरशिप और वर्कफोर्स भूमिकाओं में महिलाओं को सशक्त बनाना
· जागरूकता अभियानों के माध्यम से टाले जा सकने वाले अंधेपन को रोकना
· अकादमियों के माध्यम से आई केयर पेशेवरों की क्षमता का निर्माण
· एडवांस टेलीमेडिसिन क्षमताओं के साथ भविष्य के विजन सेंटर बनाना
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के हेड ऑफ सस्टेनेबिलिटी- इंडिया, करुणा भाटिया ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण अवसर है, और हमें पिछले 20 साल में ‘Seeing is Believing’ यानी’देखना ही विश्वास है’ कार्यक्रम के सकारात्मक असर पर गर्व है, जिसमें भारत के कुछ दूर दराज के हिस्सों में एक स्पष्ट बदलाव भी शामिल है। यह पहल हमारे कार्यक्रम के भागीदारों के माध्यम से जागरूकता पैदा करने और विश्व स्तरीय प्राथमिक आई केयर ट्रीटमेंट तक पहुंच प्रदान करने के आधार पर एक अनुकूल वातावरण स्थापित कर उन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हमारे समर्पण का उदाहरण देती है, जिनकी हम सेवा करते हैं। हम टाले जा सकने वाले अंधेपन को खत्म करने और एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, जहां हर कोई बेहतर भविष्य देख सके।
एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट के फाउंडर डॉ. जीएन राव ने कहा कि स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और हमारे संस्थान के बीच साझेदारी अब तक की सबसे प्रभावशाली साझेदारी में से एक है। इसमें एक ओर ग्रामीण स्वास्थ्य, प्राथमिक देखभाल, टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है, वहीं हाई क्वालिटी वाली आई केयर प्रदान करने के लिए अलग अलग कैडर के आई केयर वर्कफोर्स का निर्माण करना शामिल है। इस पहल के तहत सुविधाओं से दूर या वंचित ग्रामीण बैकग्राउंड के युवाओं के लिए करियर बनाना एक और उल्लेखनीय परिणाम था, जिनमें से कई महिलाएं थीं।
साइटसेवर्स इंडिया के सीईओ आर एन मोहंती ने कहा कि सीइंग इज बिलीविंग प्रोजेक्ट के तहत हमें स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से लंबे समय से समर्थन मिला है। हमारी दो दशक से अधिक लंबी साझेदारी ने देश के कुछ सबसे दूर दराज और वंचित क्षेत्रों में आई केयर सेवाओं को मजबूत किया है। पश्चिम बंगाल में सुंदरवन, छत्तीसगढ़, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश ऐसे कुछ राज्य हैं, जहां स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने साइटसेवर्स इंडिया के साथ सहयोग किया है। हमारा लक्ष्य हमेशा यह सुनिश्चित करना रहा है कि सभी स्तरों पर विजुअल इंपेयरमेंट यानी दृश्य हानि की कम हो, और मोतियाबिंद और आई हेल्थ सर्विसेज की कवरेज और इलाज की गुणवत्ता बढ़े। सीइंग इज बिलीविंग के तहत हमारे आई हेल्थ कार्यक्रमों के माध्यम से, हमने समुदायों के बीच आई हेल्थ के मुद्दों के बारे में जानकारी बढ़ाने और आई हेल्थ सर्विसेज की बेहतर पहुंच, सामर्थ्य और क्वालिटी सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।