मुंबई। विश्व बाजार के कमजोर रुझान के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई बिकवाली से बीते सप्ताह ढाई प्रतिशत से अधिक की गिरावट देख चुके घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह वैश्विक रुख के साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का निवेश प्रवाह, डॉलर सूचकांक और कच्चे तेल की कीमतों का असर रहेगा।
बीते सप्ताह बीएसई का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1829.48 अंक अर्थात् 2.7 प्रतिशत का गोता लगकार सप्ताहांत पर 66009.15 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 518.1 अंक यानी 2.6 प्रतिशत की गिरावट लेकर 19674.25 अंक रह गया।
इसी तरह समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों पर भी बिकवाली का भारी दबाव रहा। इससे बीएसई का मिडकैप 556.61 अंक टूटकर सप्ताहांत पर 31948.76 अंक और स्मॉलकैप 771.08 अंक लढ़ककर 37057.48 अंक पर आ गया।
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की मौद्रिक नीति पर बीते सप्ताह हुई बैठक में ऊंची ब्याज दरों का लंबे समय तक कायम रहने का संकेत दिया गया है। इससे निराश निवेशकों ने बीते सप्ताह बिकवाली की है और इसका असर अगले सप्ताह भी बाजार पर देखा जा सकेगा।
इसके अलावा दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति और विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमतों की अगले सप्ताह शेयर बाजार को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। साथ ही एफआईआई के निवेश रुख का भी बाजार पर असर रहेगा। एफआईआई ने सितंबर में अबतक 18,261.39 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। वहीं आलोच्य अवधि में घरेलू संस्थागत निवेशक 12,169.37 करोड़ रुपये के लिवाल रहे हैं, जिससे बाजार को बल मिला है।