नई दिल्ली।भारतीय पेशेवरों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि भविष्य में कंपनियां विविध कौशल जानने और विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव वाले पेशेवरों को किसी एक क्षेत्र की विशेषता रखने वाले पेशेवर की तुलना में वरीयता देंगे। कामकाजी लोगों के सोशल मीडिया मंच लिंक्डइन ने एक शोध के बाद यह जानकारी दी है। शोध में खुलासा हुआ कि भारत में 76 प्रतिशत पेशेवर मानते हैं कि 20 साल पहले की तुलना में अब नौकरियों के लिए डिग्री का महत्व कम हो गया है। सेंससवाइड ने यह शोध 18 वर्ष से ज्यादा आयु वाले 1,000 से ज्यादा पेशेवरों से इसी वर्ष 6-12 अप्रैल के बीच की बातचीत के आधार पर किया है।शोध के अनुसार, यह इसलिए है क्योंकि अब कौशल-आधारित नियुक्ति होने लगी है। इसमें 82 प्रतिशत भारतीय पेशेवर सहमत हैं कि कंपनियां अब ऐसे पेशेवरों को काम पर रखने में अधिक सहज हैं जिनके पास संबंधित क्षेत्र का कार्य अनुभव नहीं है लेकिन सही कौशल है। कौशल बढ़ाना अब पहले से बहुत जरूरी हो गया है। 87 प्रतिशत लोग मानते हैं कि 20 वर्ष पहले की तुलना में अब लगातार नए कौशल सीखना ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। शोध में बताया गया कि 83 प्रतिशत भारतीय पेशेवरों को लगता है कि 20 वर्ष पहले करियर के रास्ते अधिक सीधे व जरूरी कौशल अधिक स्पष्ट थे। इसमें कहा गया, “अब बदलाव हो रहा है…।’’
लिंक्डइन इंडिया के भारत में क्षेत्रीय प्रबंधक आशुतोष गुप्ता ने कहा, “पेशेवर अब अपना करियर 20 वर्ष पहले से अलग सोच के साथ अपना रहे हैं, जहां, वेतन अभी भी महत्वपूर्ण है। हम कर्मचारियों की एक नई पीढ़ी देख रहे हैं जो करियर के उतार-चढ़ाव के साथ अधिक सहज हैं, अपने मूल्यों से समझौता करने से इनकार करते हैं और यह निर्धारित करना चाहते हैं कि वे कैसे, कब और क्यों काम करते हैं।” उन्होंने कहा कि पेशेवर यह भी महसूस कर रहे हैं कि सिर्फ डिग्री से काम नहीं चलेगा और उन्हें लगातार विविध प्रकार के कौशल हासिल करने होंगे क्योंकि नौकरियां तेजी से बदल रही हैं।