नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की निर्यात-आयात (एक्जिम) पर राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा कि कुछ जी20 देशों के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत और ब्राजील तथा मेक्सिको जैसे क्षेत्रों में निर्यात में विविधता लाने से भारत को आने वाले वर्षों में निर्यात व विनिर्माण को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक प्रभाव के लिए जी20 देशों में अवसरों का लाभ उठाना महत्वपूर्ण है।
पैटन समूह के प्रबंध निदेशक बुधिया ने कहा कि भारत को जी20 के सदस्य देशों में अपने निर्यात बाजारों में विविधता लानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका तथा यूरोपीय संघ जैसे पारंपरिक साझेदार अब भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जी20 के भीतर ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया तथा मेक्सिको जैसे उभरते बाजारों की खोज से भारतीय वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं।
बुधिया ने कहा, ‘‘जी20 सदस्य देशों के साथ व्यापार समझौतों तथा द्विपक्षीय सौदों पर बातचीत व कार्यान्वयन भारत और जी20 देशों के बीच संभावनाओं का दोहन करने में सहायक हो सकता है। इस तरह के समझौते व्यापार बाधाओं, शुल्क और नियामक बाधाओं को कम कर सकते हैं, जिससे भारतीय व्यवसायों के लिए विदेशी बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी।” उन्होंने कहा कि जी20 देशों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में करीब 85 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत योगदान है। इसका मतलब है कि भारत के पास इन देशों के साथ अपना व्यापार व निवेश बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है।
जी20 में 20 नहीं बल्कि 43 सदस्य हैं। इनमें 19 देश अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (27 सदस्यीय समूह) हैं। वहीं तीन यूरोपीय संघ के देश फ्रांस, जर्मनी, इटली की गिनती दो बार की जाती है। वर्ष 2022 में भारत के व्यापारिक निर्यात में जी20 देशों की हिस्सेदारी 64 प्रतिशत और आयात में 52.4 प्रतिशत थी।