जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि उभरते देशों में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये वित्त और संसाधनोंकी जरूरत है। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन के बिना औद्योगीकरण करने वाले देशों में भारत को शुरूआती गिने-चुने देशों में शामिल होना चाहिए। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली में भारत की जी-20 अध्यक्षता पर आयोजित एक व्याख्यान में कांत ने कहा कि पश्चिमी शक्तियों ने दुनिया को तब प्रदूषित किया जब वे औद्योगीकरण कर रहे थे और उभरते देश मौजूदा जलवायु संकट के लिए बहुत कम जिम्मेदार हैं।
कांत ने कहा कि भारत ने मौजूदा 2,800 गीगाटन कार्बन क्षेत्र में केवल 1.5 प्रतिशत का योगदान दिया है, जबकि तार्किक रूप से प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यह 17.5 प्रतिशत का हकदार होना चाहिए। नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कांत ने कहा, “चाहे जो भी हो, जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हम दुनिया के तीसरे सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले देश बन जाएंगे। जैसे हम औद्योगीकरण करते हैं, भारत को दुनिया के कार्बन उत्सर्जन के बिना औद्योगिकीकरण करने वाले दुनिया के पहले कुछ देशों में से एक होना चाहिए और इसलिए कार्बन उत्सर्जन से मुक्त होने रणनीति की आवश्यकता है। इसके लिये आपको दीर्घकालिक वित्तपोषण की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता ऐसे समय में आई है जब दुनिया मुद्रास्फीति का दबाव समेत अन्य चुनौतियों का सामना कर रही है।