आदित्य सोनार
मुंबई। अनुभवी अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को लगता है कि भविष्य में ओटीटी प्लेटफॉर्म
सिर्फ थिएटर देखने के अनुभव को बदल सकते हैं। शाह ने कहा, “मुझे डर है कि ऐसा होगा। वह दिन बहुत दूर
नहीं है कि जब नियमित रूप से फिल्में दूरदर्शन पर दिखाई जाने लगीं। महेश भट्ट की फिल्मों में से एक ‘जनम’
का प्रीमियर टेलीविजन पर हुआ था। ऐसा करने वाला वह पहला था और उसके बाद कई फिल्मों का प्रीमियर हुआ।
यह कल्पना करना मूर्खता है कि मूवी पैलेस हमेशा के लिए चले जाएंगे। हर एक को इस संभावना के साथ जीना
होगा कि वे एक दिन नहीं रहेंगे।
ओटीटी प्लेटफॉर्म के लाभ के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “ओटीटी के लिए बहुत अच्छा कंटेन्ट लिखा जा
रहा है। बहुत सारे उपन्यासों के आइडिया को लेकर कोशिश की जा रही है क्योंकि वहां हमारे सिर पर बैठे सेंसर का
बोझ नहीं है। हालांकि ऐसा बहुत दिन तक नहीं रहेगा। मुझे यकीन है कि सेंसर वहां भी जल्दी या कुछ समय बाद
आने वाले हैं।
दूसरी बात यह है कि वहां यह दबाव नहीं है निर्माता ने जो कहा है उसे शामिल करें या नहीं या इस अभिनेता या
गाने या लड़ाई के सीन को शामिल करें। ये सभी निर्थक सुझाव प्रोड्यूसर्स और वितरकों की ओर से आते हैं। ओटीटी
पर फिल्म निर्माताओं को इन सब दबावों के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। लिहाजा ओटीटी प्लेटफार्मों पर
बहुत सारे दिलचस्प काम हो रहे हैं। युवा लोग फिल्में बना रहे हैं, उनमें से कुछ तो काफी शानदार हैं! मैंने तीन या
चार (लघु फिल्में) की हैं, और मैं पूरी तरह से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काम करने का आनंद लेता हूं।
पिछले कुछ महीनों में महामारी के कारण जिंदगी में आए बदलावों को लेकर उन्होंने कहा, “मैंने अपनी बोरियत को
दूर करने के लिए कई तरीके निकाले. मैं और मेरी पत्नी रत्ना ने शेक्सपियर के हर तरह के नाटक पढ़े।
हारमोनियम पर सरगम का अभ्यास किया। यह सब करना बहुत मजेदार था।”