2017 की ‘हिंदी मीडियम’ के लिए इरफान खान को बेस्ट एक्टर के अवार्ड से नवाजा गया। सपोर्टिंग एक्टर के रूप में इसी फिल्म के लिए दीपक डोब्रियाल भी नॉमिनेटेड थे लेकिन उन्हें यह अवार्ड नहीं मिला। इससे गुस्सा हुए दीपक कहते हैं कि अब उन्होंने निर्णय लिया है कि वह अगले साल से किसी भी अवॉर्ड शो का हिस्सा नहीं बनेंगे।
दीपक का कहना है ”अब किसी भी अवार्ड पर विश्वास नहीं रह गया है। मुझे समझ ही नहीं आता है कि ये कौन सी जूरी है जो इस तरह से निर्णय लेती है। मैं तो कहता हूं कि पूरी तरह से लोगों से पूछिये। निष्पक्ष होकर कि उन्हें क्या अच्छा लग रहा है। कौन अच्छा लग रहा है कौन नहीं।’
दीपक कहते हैं कि उन्हें लोगों का प्यार उनकी हर फिल्म से मिल रहा है और उन्हें लगता है कि जब नॉमिनेट करते हैं तो अच्छा काम लगता होगा तभी करते होंगे। दीपक कहते हैं कि उनके मन में कहीं से यह बात नहीं है कि हमेशा वही बेस्ट होंगे। लेकिन जब वह बेस्ट करते हैं किसी कैरेक्टर के लिए, मेहनत करते हैं पूरी तरह इनवॉल्व रहते हैं तो ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता कि फैसला ऐसा कैसे हो जाता है। दीपक तो कहते हैं कि अगर उन्हें कभी भी लगा कि उनसे बेस्ट उस केटेगरी में किसी ने काम किया है तो वह जाकर स्टेज पर बोलेंगे कि मैं नहीं वह डिजर्व करता है। बात यहां मुझे मिलने के बारे में नहीं है। इस बात की है कि फेयर होना चाहिए, लेकिन जूरी बायस होती है।
दीपक एक बार का किस्सा बताते हैं कि जब ओंकारा के लिए उनका नॉमिनेशन हुआ था, तो उन्हें पांच ज्यूरी ने अलग-अलग ले जाकर बोला था कि मैं तुम्हारे लिए लड़ रहा था, कोई तुम्हारे नाम पर मुहर लगाने को तैयार नहीं था। दीपक कहते हैं कि मुझे हंसी आई थी कि पांचों लड़ रहे थे तो एतराज किसको था।
दीपक का कहना है कि अब अवॉर्ड सिर्फ औपचारिकता रह गए हैं और अब वह अगले साल इस तरह के समारोह में शामिल नहीं होंगे। उन्हें पता है कि उनकी मेहनत और उनका काम दर्शक पसंद कर रहे हैं तो बस उनके लिए ही काम करेंगे। हाल ही में दीपक की फिल्म ‘कालाकांडी’ आई थी। फिल्म कामयाब नहीं रही, लेकिन दर्शकों ने दीपक का काम पसंद किया था।