जयपुर। पांच दिवसीय जयपुर इंटरनेशल फिल्म के चौथे दिन सोमवार को 15 देशों की 32
फिल्मों की ऑफ लाइन स्क्रीनिंग के बीच फेस्टिवल में आए देश- विदेश के फिल्मकारों ने आपस में दिल की बातें
साझा कीं और फिल्म निर्माण में हुए अनुभवों पर रोशनी डाली।
नीदरलैण्ड्स की फिल्मकार जेनेट ग्रोएनेनडा ने कहा कि वे बचपन के दिनों से ही ग्रह-नक्षत्रों के संसार के प्रति बहुत
आकर्षित महसूस करती थीं और यही आकर्षण उन्हें भारत खींच लाया। लम्बे समय से तमिल मंदिरों में खोज –
पड़ताल करने वाली जेनेट मानती हैं कि दुनिया में इन ग्रह नक्षत्रों के संकेतों को समझे जाने की ज़रुरत है। वे कोई
ऐसा माध्यम बनाना चाहती हैं, जिससे भारत और नीदरलैण्ड्स में फिल्मों का आदान प्रदान हो सके। कोलकाता से
जिफ में पहुंचे अभिनेता कौशिक चक्रवर्ती ने कहा कि कोविड की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच भी जिफ जिस
सुनियोजित ढंग से आयोजित हुआ है, काबिले तारीफ़ है।
ओड़िसा से पहुंचे फिल्मकार पीनाकी सिंह तथा शिशिर कुमार साहू की फिल्म 'दालचीनी' यात्रा के रोमांच और रहस्यों
से भरपूर फिल्म है। फिल्म की शूटिंग से जुड़े अनुभवों को याद करते हुए शिशिर ने बताया कि यह एक ट्रैवल स्टोरी
है, और फिल्म हाइवे पर शूट की गई, वह भी कड़ाके की सर्दी में, जो बहुत ही मुश्किल था। शिशिर ने कहा कि
इंडिपिंडेंट फिल्ममेकर्स के लिए स्थानीय भाषा में फिल्म बनाना और लोगों तक पहुंचाना आसान नहीं है। पीनाकी ने
कहा कि जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में उनकी फिल्म प्रदर्शित होना सुखद अनुभव रहा और ऐसे फिल्म
समारोह उनके लिए उम्मीद के जगमगाते सितारे जैसे हैं।
जिफ में प्रदर्शित हुई फिल्म अ नोमैड रिवर के प्रोड्यूसर और एक्टर रविन्द्र केलकर ने कहा कि अग़र आप फिल्म
बनाना चाहते हैं, तो अपनी कहानी लोगों तक पहुंचाएं और साधनों की फिक्र ना करें। वे यहां लगातार तीसरी बार
आए हैं, और यहां आकर उन्हें कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय फिल्मकारों, फिल्म निर्माताओं और सिनेमा विशेषज्ञों से
बातचीत करने का मौका हासिल हुआ। मंगलवार को आठ देशों की 22 फिल्मों की ऑफ लाइन स्क्रीनिंग के साथ
जिफ का समापन होगा।